दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के प्रमोटर रहे कपिल और धीरज वाधवान को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. करोड़ो रुपये के बैंक लोन घोटाले के आरोप में कपिल और धीरज वाधवान की जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर द‍िया. कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से दोनों को कस्टडी में लेने का आदेश द‍िया. दोनों पर सरकारी बैंकों के करीब 35 हजार करोड़ के गबन का आरोप है. साल 2022 में गिरफ्तारी के बाद निचली अदालत ने तय समय सीमा में पूरी चार्जशीट दाखिल नहीं होने के आधार पर इन्हें जमानत दी थी.


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दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा था


इसके बाद न‍िचली अदालत के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था. बुधवार को जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की बेंच ने कहा कि डिफॉल्‍ट बेल किसी आरोपी का मौलिक अधिकार नहीं है.  जमानत को लेकर दिए आदेश में निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट ने गलती की है. इस केस में चार्जशीट दायर हो चुकी है, कोर्ट  संज्ञान भी ले चुका है. लिहाजा ट्रायल कोर्ट नए सिरे से दोनों की जमानत याचिका पर विचार करें.


इस तरह आरोपी वैधानिक जमानत का हकदार
अपने फैसले में पीठ ने कहा 'हमें इस बात में कोई झिझक नहीं है कि आरोपपत्र दाखिल होने और उचित समय पर संज्ञान लेने के बाद, उत्तरदाता अधिकार के रूप में वैधानिक जमानत का दावा नहीं कर सकते थे.' सीआरपीसी (CrPC) के तहत यदि जांच एजेंसी 60 या 90 दिन के अंदर किसी आपराधिक मामले में जांच के निष्कर्ष पर आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो आरोपी वैधानिक जमानत का हकदार हो जाता है.


संबंध‍ित मामले में सीबीआई ने एफआईआर (FIR) दर्ज करने के 88वें दिन आरोप पत्र दायर किया और ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को ड‍िफॉल्‍ट जमानत दे दी. दिल्ली हाई कोर्ट ने भी आदेश को बरकरार रखा. मामले में वाधवान बंधुओं को पिछले साल 19 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. हालांक‍ि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ क‍िया क‍ि वह मामले के मेर‍िट्स पर ध्यान नहीं देता. 15 अक्टूबर 2022 को चार्ज शीट दाख‍िल की गई और संज्ञान लिया गया. इस मामले में एफआईआर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर थी.