Union Bank ने जारी किया था नवरात्रि ड्रेस कोड, जानिए क्यों बैंक ने वापस लिया सर्कुलर
Union bank Navratri Navratri Dress Code: नौ दिवसीय नवरात्रि समारोह के लिए बैंक की तरफ से रंग पीले, हरे, ग्रे, नारंगी, सफेद, लाल, शाही नीले, गुलाबी और बैंगनी रंग के ड्रेस कोड लागू किए गए थे.
नई दिल्ली: Union bank Navratri Navratri Dress Code: यूनियन बैंक ने अपने कर्मचारियों के लिए नवरात्रि ड्रेस कोड लागू किया था. लेकिन कड़े विरोध के बाद इस सर्कुलर को बैंक ने वापस ले लिया. दरअसल, बैंक ने अपने कर्मचारियों को नौ दिवसीय नवरात्रि समारोह के लिए कलर कॉर्डिनेटेड ड्रेस कोड (Color Coordinated Dress Code) का पालन करने का आदेश दिया था. सर्कुलर में आदेश का उल्लंघन करने वालों पर 200 रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही थी.
इसके बाद, बैंक कर्मचारी यूनियन (Bank Employees Union) ने सोशल मीडिया पर इसकी जम कर निंदा की. जिसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र के इस बैंक को अपने कर्मचारियों के लिए नवरात्रि समारोह के लिए ड्रेस कोड सर्कुलर वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. कर्मचारियों के कड़े विरोध के बाद बैंक ने अपना आदेश वापस से लिया है.
कर्मचारियों ने किया जम कर विरोध
आपको बता दें कि बैंक के सर्कुलर के बाद कर्मचारी संघ ने नाराजगी जताते हुये बैंक प्रबंधन को पत्र लिखकर आदेश वापस लेने को कहा था. मदुरै के सांसद सु वेंकटसन ने भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक से अपना ड्रेस कोड आदेश वापस लेने का आग्रह किया.
बैंक ने अपने 1 अक्टूबर के आदेश में कहा था, 'नवरात्रि के शुभ अवसर पर, साइट पर काम करने वाले सभी स्टाफ सदस्यों और विक्रेता भागीदारों से अनुरोध है कि वे दिन-वाइस कलर कोड का पालन करें. रंगों का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जाएगा.'
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इन रंगों को किया गया था शामिल
मुंबई में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के केंद्रीय कार्यालय के डिजिटलीकरण विभाग के महाप्रबंधक एआर राघवेंद्र ने ये खास ‘नवरात्रि उत्सव और ड्रेस कोड’ शीर्षक से एक सर्कुलर जारी किया था. नौ दिवसीय नवरात्रि समारोह के लिए रंग पीले, हरे, ग्रे, नारंगी, सफेद, लाल, शाही नीले, गुलाबी और बैंगनी रंग थे. आदेश में कहा गया था कि सभी कर्मचारियों का एक समूह फोटो सेशन किया जाएगा.
यूनियन बैंक कर्मचारी महासंघ ने लिखा पत्र
इस आदेश के बाद, अखिल भारतीय यूनियन बैंक कर्मचारी महासंघ ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को एक पत्र लिखा और कहा, ‘नवरात्रि एक धार्मिक त्योहार है. समाज के एक धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के प्रति उच्च सम्मान रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में इसे निजी तौर पर मनाया जाना चाहिए, न कि आधिकारिक तौर पर. किसी भी त्योहार को मनाना स्वैच्छिक है. इसमें किसी भी निर्देश और कोई भी जुर्माना लागू करने की जगह नहीं है.' इसमें यह भी कहा गया कि ‘बैंक के 100 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ.’