नई दिल्ली : भारत सरकार की तरफ से भगोड़ा घोषित किए गए कारोबारी विजय माल्या ने लंबे समय बाद चुप्पी तोड़ी है. माल्या ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए अपना पक्ष रखा है. इसमें माल्या ने दावा किया कि उनकी तरफ से भारत में सरकारी बैंकों के कर्ज नहीं चुकाने को लेकर साल 2016 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर अपना पक्ष रखा था. लेकिन उसके लेटर पर पीएम मोदी और वित्त मंत्री में से किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.


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मेरा नाम आते ही लोगों का गुस्सा भड़क जाता है
विजय माल्या ने पत्र में यह भी कहा कि वह बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों की 'पहचान' बन गए हैं और उनका नाम आते ही मानों लोगों का गुस्सा भड़क जाता है. माल्या ने काफी समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए यह बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि वह दुर्भाग्य से जिस विवाद में घिरे हुए हैं उसकी ‘तथ्यात्मक स्थिति’ सामने रखना चाहते हैं. माल्या ने दावा किया कि संबंधित मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 5 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री को पत्र लिखा था.


आधारहीन और झूठी कार्रवाई बताया
इसमें माल्या ने कहा है, ‘राजनेताओं व मीडिया ने मुझ पर इस तरह आरोप लगाए मानों किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए 9 हजार करोड़ रुपये का कर्ज मैंने चुरा लिया और भाग गया. कुछ कर्जदाता बैंकों ने भी मुझे जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला करार दिया.’ माल्या ने इस मामले में सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से उनके खिलाफ दायर आरोप पत्रों को ‘सरकार व कर्जदाता बैंकों की ओर से आधारहीन और पूरी तरह झूठे आरोपों पर की गई कार्रवाई’ बताया है.



माल्या के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी, उनकी समूह कंपनियों व उनके परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों की आस्तियां कुर्क कर दीं जिनका मूल्य करीब 13 हजार 900 करोड़ रुपये है. माल्या ने कहा है, ‘मैं बैंक डिफॉल्ट करने वालों का ‘पोस्टर ब्वाय’ बन गया हूं और मेरा नाम आते ही लोगों का गुस्सा भड़क जाता है.’ माल्या उन्हें ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ रहे हैं.


(इनपुट भाषा से)