क्या है फाइनेंस कमीशन? अरविंद पनगढ़िया को बनाया गया जिसका अध्यक्ष, क्या है इस आयोग का काम-धंधा, सब जान लीजिए
Finance Commission: भारत सरकार ने 16वें वित्त आयोग का गठन कर दिया और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया को इसका अध्यक्ष नियुक्ति किया है. इस आयोग के काम से लेकर उसकी जिम्मेदारियों के बारे में जानते हैं. ये आयोग काम क्या करता है, इसका रोल क्या होता है, कैसे केंद्र और राज्य के बीच करों का बंटवारा करता है, जानते हैं सबकुछ.
Finance Commission: केंद्र सरकार ने 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष की घोषणा कर दी है. सरकार ने प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया तो आयोग का अध्यक्ष नियुक्ति किया है. अरविंद पनगढ़िया नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया के हाथों में 16वें वित्त आयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 16वां फाइनेंस कमीशन अक्टूबर 2025 तक राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. इस 16वें वित्त आयोग (Finance Commission) की सिफारिशें अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक पांच साल के लिए वैध होंगी. आइए जानते हैं कि ये वित्त आयोग या फाइनेंस कमीशन होता क्या है ? इसका काम क्या है?
क्या होता है वित्त आयोग?
वित्त आयोग या फाइनेंस कमीशन एक संवैधानिक संस्था है, जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है. हर पांच साल में इसका गठन होता है. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच पैसों का बंटवारा कैसे होगा. दोनों के बीच कितना बंटेगा, इसकी देख-रेख वित्त आयोग करता है. इस पर सिफ़ारिशें करता है. वित्त आयोग केंद्र और राज्य के बीच टैक्स के बंटवारे की सिफारिश करता है और उनके बीच टैक्स के वितरण की रूपरेखा तय करता है. हालांकि केंद्र सरकार वित्त आयोग को समय-समय पर किसी भी काम कि जिम्मेदारी सौंप सकता है. वित्त आयोग की जिम्मेदारी राजकोषीय संघवाद को मज़बूत करने से लेकर पब्लिक फाइनेंस से जुड़े मु्द्दों पर सरकार को सलाह देना है.
फाइनेंस कमीशन का रोल क्या है
वित्त आयोग में एक अध्यक्ष के अलावा 4 और सदस्य होते हैं. चार मेंबर्स में से एक सदस्य का हाई कोर्ट का जज होना अनिवार्य है. वहीं एक सदस्य का चयन संसद की ओर से किया जाता है. इन का कार्यकाल पांच सालों का होता है. वित्त आयोग के मुख्य दो काम ही होते हैं. पहला वर्टिकल डेवोल्यूशन और दूसरा हॉरीजॉन्टल डेवोल्यूशन. आसान भाषा में समझें तो वर्टिकल डेवोल्यूशन का मतलब है कि जो टैक्स जुटाया गया है, उसे केंद्र और राज्यों के बीच कैसे बंटा जाए. वहीं हॉरीजॉन्टल डेवोल्यूशन का मतलब है राज्यों के बीच टैक्स का आवंटन कैसे किया जाए. वित्त आयोग केंतद्र और राज्य सरकारों के बीच के घर्षण को कम कर सहयोग बढ़ाने का काम करता है. सबसे खास बात की आयोग की सिफारिशे केवल सलाहकारी होती हैं. यानी केंद्र सरकार आयोग की सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है. हालांकि आयोग की सिफारिशों को बिना किसी ठोस वजह ने मानने से इंकार करने का मतलब संविधान के नियम न मानने जैसा है.
क्या है आयोग की जिम्मेदारी
केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स के विभाजन के अलावा वित्त आयोग आर्टिकल 275 के तहत 'ग्रांट इन एड' यानी केंद्र की ओर से राज्यों को मिलने वाली सहायता राशि के लिए फॉर्मूला तैयार करता है. वहीं राज्यों के संचित निधि फंड को मजबूत करने के लिए आयोग सिफारिश देने का काम भी वित्त आयोग का है. इसके अलावा आपदा प्रबंधन के लिए फंड मैनेजमेंट करना भी वित्त आयोग का काम है.
आयोग की चुनौतियां
16वें वित्त आयोग का गठन कोरोना महामारी के बाद हो रहा है, ऐसे में आयोग रके सामने कई चुनौतियां है. 16वें वित्त आयोग के सामने उच्च ब्याज वाली व्यवस्था को बैलेंस करने से लेकर वैश्विक मंदी की वजह से आने वाली चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी है.