कौन हैं UP की आरुषि अग्रवाल? 1 करोड़ की नौकरी छोड़ शुरू किया अपना बिजनेस, आज पूरी दुनिया में बज रहा डंका!
Aarushi Agrawal: यूपी की आरुषि अग्रवाल ने खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए 1 करोड़ रुपये की नौकरी ठुकरा दी थीं. आज वह एक स्टार्टअप की मालिक हैं. यूपी के गाजियाबाद से इस स्टार्टअप को ऑपरेट किया जाता है.
Arushi Agrawal TalentDecrypt: आपने अक्सर लोगों को यह कहते सुना होगा कि जब ठान लिया जाए तो सब कुछ संभव है. उत्तर प्रदेश की रहने वाली आरुषि अग्रवाल ने इसे सही साबित कर दिया है. करोड़ में सैलरी ऑफर होने के बावजूद उन्होंने नौकरी छोड़ कर अपना बिजनेस शुरू किया. जिस वक्त इन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने को लेकर घर वालों से बात की तो सभी ने सुरक्षित भविष्य के लिए नौकरी नहीं छोड़ने की सलाह दी. लेकिन आज आरुषि इन सबको गलत साबित करते हुए एक बिजनेस वुमेन बन चुकी हैं.
नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने TalentDecrypt नामक एक स्टार्टअप शुरू किया. आज इस कंपनी की आय 50 करोड़ रुपये है. कंपनी ने यह उपलब्धि सिर्फ तीन साल में ही हासिल कर ली. यूपी के गाजियाबाद से इस स्टार्टअप को ऑपरेट किया जाता है. इस स्टार्टअप ने 10 लाख से अधिक नौकरी खोज रहे युवाओं को मदद की है.
कहां से की है आरुषी ने पढ़ाई?
आरुषि का कहना है कि उन्होंने बी-टेक और एम-टेक करने के बाद उन्होंने IIT दिल्ली में इंटर्नशिप की. इस दौरान उन्होंने छात्रों को प्लेसमेंट से जूझते हुए देखा. इसी से प्रेरित होकर उन्होंने साल 2018 में उन्होंने खुद कोडिंग सीखी. साल 2020 में कोविड के दौरान उन्होंने 1 लाख रुपये निवेश कर टैलेंटडिक्रिप्ट नामक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया.
इस ऐप को धोखाधड़ी से बचने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह सिक्योर वर्चुअल मूल्यांकन के लिए जाना जाता है. कंपनी ने नौकरी खोज रहे युवाओं को मदद करने के लिए 380 से अधिक कंपनियों के साथ समझौता किया है.
क्या है TalentDecrypt?
TalentDecrypt एक स्टार्टअप प्लेटफॉर्म है जो टेक भर्ती प्रक्रियाओं में कंपनियों के लिए प्रोसेस को आसान बनाता है. इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि उम्मीदवार उस जॉब पॉजिशन के लिए बिल्कुल फिट हो जिस पद के लिए वो भर्ती में आए हैं.
लॉन्च के बाद से टैलेंटडिक्रिप्ट कोडिंग करने वाले युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है. साथ ही टेक भर्ती में एक विश्वसनीय नाम बन गया है. इस कंपनी में फिलहाल 20 लोग काम करते हैं और इसे मान्यता भी मिल गई है. हाल ही में नीति आयोग ने भी इस काम के लिए आरुषि की सराहना की थी. वह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने दादा IITian ओमप्रकाश गुप्ता को देती हैं.