जानिए 100 डॉलर प्रति बैरल के भाव को कब पार करेगा क्रूड, क्या होगा आपकी जेब पर असर?
कच्चे तेल की कीमत पिछले दो महीने में तेजी से बढ़ी हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या जल्द ही क्रूड की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के भाव को पार करने वाली है?
नई दिल्ली: कच्चे तेल की कीमत पिछले दो महीने में तेजी से बढ़ी हैं. भारत में सबसे अधिक आयात किया जाने वाला ब्रेंट क्रूड बुधवार को 81.78 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर पहुंच गया. ये भाव 2014 के बाद से सबसे अधिक है. प्रमुख तेल उत्पादक देशों के संघ ओपेक और दूसरे देशों ने फिलहाल उत्पादन में बढ़ोतरी का कोई संकेत नहीं दिया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या जल्द ही क्रूड की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के भाव को पार करने वाली है?
तेल की कीमत कितनी बढ़ेंगी, ये आज कहना मुश्किल है, लेकिन ये पक्का कहा जा सकता है कि फिलहाल इसमें कमी के कोई संकेत नहीं दिख रहे. इसकी पांच प्रमुख वजहें हैं-
सरकार के भारी-भरकम खर्च को देखते हुए फिलहाल उससे पेट्रोल-डीजल पर टैक्स में कमी या किसी तरह की सब्सिडी की उम्मीद कम है.
कई रिफाइनरी को अपने प्लांट के अपग्रेडेशन के लिए भारी निवेश करना है. इसके लिए बेहतर मार्जिन की जरूरत है.
दुनिया भर में तेल की मांग तेज है. खासतौर से भारत और चीन की मांग में तेज वृद्धि बनी हुई है.
भू-राजनीतिक स्थितियां तेल की कीमतों में तेजी की सबसे बड़ी वजह बनी हुई हैं. ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों से हालात सबसे अधिक बिगड़े हैं.
लीबिया में उत्पादन बाधित हुआ है और वेनेजुएला में उत्पादन बहुत घट गया है.
मांग में तेजी
विश्वेषकों के मुताबिक करीब 6.5 लाख बैरल ईरानी तेल पहले ही बाजार से वापस लिया जा चुका है. अनुमान है कि इस साल के अंत तक 10 लाख बैरल या इससे अधिक ईरानी तेल की आवक रुक जाएगी. इस तरह अगले छह महीने तक तेल में तेजी बनी रहेगी. दुनिया भर के सभी प्रमुख विश्लेषक मान रहे हैं कि इस साल के अंत तक आपूर्ति में तंगी बनी रहेगी. दूसरी ओर मांग में तेजी लगातार बनी हुई है. तेल उत्पादक देशों का अनुमान है कि 2040 तक दुनिया भर में तेल की मांग 11.2 करोड़ बैरल प्रतिदिन हो जाएगी, जो अभी 10 करोड़ बैरल प्रतिदिन है. मांग में ये तेजी ट्रांसपोर्टेशन और पेट्रोकेमिकल्स से आएगी
100 डॉलर का भाव?
लोग अब बातें करने लगे हैं कि क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर जाने वाला है. इस समय बाजार में उथल-पुथल और अटकलों का दौर है और कोई भी ईरान से होने वाली आपूर्ति की भरपाई के बारे में कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. वैश्विक कमोडिटी ट्रेडर ट्रैफिगुरा का अनुमान है कि अगले साल की पहली तिमाही में क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाएगा. यदि ऐसा होता है तो भारत में पेट्रोल की कीमतों मौजूदा स्तर से करीब 25 प्रतिशत बढ़ जाएंगी. इस तरह देश के लगभग सभी हिस्सों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से महंगा होगा और मुंबई में तो कीमतों 110 रुपये के आसपास पहुंच जाएंगी.
कब मिलेगी राहत?
ओपेक द्वारा उत्पादन में बढ़ोतरी न करने के संकेत से इस बात को और बल मिला है. इंडस्ट्री को भी महंगे क्रूड की जरूरत है. इसकी वजह ये है कि आने वाले समय में नॉन-ओपेक देशों में कच्चे तेल का उत्पादन काफी बढ़ेगा. हालांकि, इसके लिए वहां भारी मात्रा में निवेश करने की जरूरत है. महंगे क्रूड के बिना ऐसा संभव नहीं है. 2015-16 से कीमतों में गिरावट के बाद अमेरिकी शैल ऑयल और गैर-अमेरिकी फ्रेकिंग परियोजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी हैं. इनको पटरी पर लाने के लिए भारी निवेश की जरूरत है और इसके लिए जरूरी है कि क्रूड महंगा बना रहे. एक बार इन परियोजनाओं के चालू होने के बाद ही उम्मीद है कि कीमतों में गिरावट का दौर शुरू होगा.