प्रखर वक्ता और कवि ही नहीं, बेहतरीन छात्र भी थे अटल बिहारी वाजपेयी; पूर्व PM के पास थीं कई डिग्रियां
Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण का मुरीद तो हर कोई है, लेकिन उनकी एजुकेशन जानकर तो आपके होश ही उड़ जाएंगे. वह बहुत ही होनहार छात्र और बेहतरीन इंसान थे. आइए जानते हैं उनकी शिक्षा के बारे में...
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: भारत समेत पूरी दुनिया क्रिसमस 2023 सेलिब्रेशन की तैयारियों में व्यस्त है. वहीं, भारत के पास इस दिन को धूमधाम से मनाने की एक और बेमिसाल वजह है. दरअसल, इस दिन हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री और युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जन्मदिन भी होता है.
बेशक वह आज हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनके महान विचार हमारे दिमाग में गूंजते हैं, जो हर मुश्किल परिस्थिति में डटकर लड़ने को प्रेरित करते हैं. आपको बता दें कि वह महज एक बेहतरीन वक्ता और कवि ही नहीं थे, बल्कि पढ़ाई में भी बहुत तेज थे. उनकी एजुकेशन क्वालिफिकेशन के बारे में जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे...
बेहद पढ़े लिखे थे वाजपेयी:
अटल बिहारी वाजपेयी का पूरा जीवन ही लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. उनके करीबी और चाहने वाले वाजपेयी को'बापजी' कहकर पुकारते थे. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. उनके पिता कृष्ण वाजपेयी स्कूल मास्टर और कवि थे. पूर्व पीएम वाजपेयी भी अपने पिता की ही तरह बेहद अच्छे कवि बने.
स्कूली शिक्षा:
वाजपेयी ने अपनी स्कूली शिक्षा ग्वालियर के गोरखी स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से की.
स्नातक:
ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज, जिसे अब लक्ष्मीबाई कॉलेज कहा जाता है से वाजपेयी ने हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. वायपेयी ने इन विषयों में डिस्टिंक्शन हासिल कर फर्स्ट डिवीजन में डिग्री ली थी.
इसके बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज, कानपुर से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की थी, जिसके बाद उन्हें विदेशी मामलों में रुचि विकसित हुई.
इसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई के लिए एलएलबी करने का फैसला लिया, लेकिन डिग्री पूरी होने से पहले पूरी तरह संघ के कार्यों में जुटना पड़ा.
अटल बिहारी वाजपेई का राजनीतिक करियर:
वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा के लिए चुने गए. इसके अलावा वाजपेयी पहले और एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया.
विदेश सरजमीं पर हिंदी में दिया था भाषण:
पूर्व प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र सभा में 4 अक्टूबर 1977 को हिंदी में भाषण देने वाले पहले विदेश मंत्री भी थे. जब अटल बिहारी ने हिंदी में भाषण दिया, तो यूएन तालियों से गूंज उठा. आज भी उनका यह भाषण ऐतिहासिक माना जाता है, जिसे हर भारतीय बड़े गर्व से याद करता है.