Delhi University Admissions: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में अंडरग्रेजुएट लेवल पर स्टूडेंट्स की क्लासेज लगभग शुरू हो चुकी हैं. वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी कैम्पस व कैम्पस के बाहर के कॉलेजों में अभी भी सीटें खाली हैं. कुछ कॉलेजों में तो अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज में 10 से 12 फीसदी सीट खाली हैं. सीयूएटी के अंतर्गत विश्वविद्यालय प्रशासन ने एडमिशन के लिए तीन लिस्ट व तीन स्पॉट राउंड जारी किए, उसके बाद भी कॉलेजों में सीटें खाली पड़ी हुई है.


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दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाने वालों का कहना है कि सबसे ज्यादा बुरी स्थिति साइंस सब्जेक्ट्स में रिजर्व कैटेगरी के स्टूडेंट्स की है. इन कॉलेजों में एडमिशन बहुत कम हुए हैं. एडमिशन के बाद कुछ स्टूडेंट्स अपनी सीटें छोड़कर इंजीनियरिंग,  मेडिकल, बीटेक, जेबीटी या अन्यों जगहों पर चले गए हैं. स्टूडेंट्स के एडमिशन कैंसिल कराने पर कॉलेज व विभाग का दायित्व बनता है कि जितने एडमिशन कैंसिल हुए हैं उसके एवज में उतने ही नए एडमिशन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को लिखे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.


DU के टीचर्स ग्रेजुएट लेवल पर स्टूडेंट्स के एडमिशन हेतु स्पेशल ड्राइव चलाने की बात कह रहे हैं. वहीं कुछ टीचर्स ने कॉलेजों से सब्जेक्ट वाइज एडमिशन के आंकड़े मंगवाएं जाने की भी मांग की है. टीचर्स का कहना है कि इससे पता चल सकेगा कि कॉलेजों ने अपने यहां अप्रूव्ड सीटों से ज्यादा कितने एडमिशन जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट्स के किए हैं तथा उसके एवज में रिजर्व कैटेगरी की कितनी सीटों पर एडमिशन दिया गया है. जब ये आंकड़े उपलब्ध हो जाएं तभी यूनिवर्सिटी को कॉलेजों में खाली पड़ी रिजर्व कैटेगरी की सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाना चाहिए.


यूनिवर्सिटी में रिजर्व सीटों को भरने के लिए एससी को 15 फीसदी, एसटी 7.5 फीसदी, ओबीसी 27 फीसदी, पीडब्ल्यूडी (विकलांग) 5 फीसदी, ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी रिजर्वेशन दिए जाने का प्रावधान है. जब तक इन कैटेगरी का कोटा पूरा नहीं हो जाता यूनिवर्सिटी व कॉलेजों को स्पेशल ड्राइव चलाकर इन सीटों को भरना होता है लेकिन इस बार यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नई शिक्षा नीति में सीयूएटी के अंतर्गत कॉलेजों को सीटें आवंटित की है. कई कॉलेजों में अभी भी 10 से 12 फीसदी साइंस, कॉर्मस और आर्ट्स सब्जेक्ट की रिजर्व सीटें खाली पड़ी हैं.


दिल्ली विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल के सदस्य रह चुके प्रोफेसर हंसराज सुमन का कहना है कि इसका सबसे बड़ा कारण डीयू में एडमिशन में देरी होना है. ज्यादातर स्टूडेंट्स ने पहले ही दूसरी यूनिवर्सिटी व दिल्ली एनसीआर में बनी यूनिवर्सिटीज में एडमिशन ले लिया.


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