CBSE Schools Innovative Approach: नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत देश में कई बेहतरीन बदलाव किए जा रहे हैं. कोच्चि के सीबीएसई स्कूलों के एक नई पहल करते हुए मार्किंग सिस्टम में एक बड़ा बदलाव किया है, जिसके तहत अब इन स्कूलों में स्टूडेंट्स को रिजल्ट के ग्रेड या मार्क्स के तौर पर इमोजी दिए जा रहे हैं. इन इमोजी के माध्यम से बच्चों की परफॉर्मेंस को दिखाया जा रहा है.  


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NEP 2020 के तहत बदलाव
कोच्चि के कई स्कूलों में हो रहा यह बदलाव नई शिक्षा नीति 2020 के और सीबीएसई की गाइडलाइन अनुरूप है. इसके मुताबिक ये स्कूल ज्यादा हेलोस्टिक इवोल्यूशन मेथड को अपना रहे हैं. इन स्कूलों बच्चों की लर्निंग और डवलपमेंट पर फोकस करने के लिए ग्रेड मार्किंग सिस्टम के बजाय इमोजी और एक्टिविटी-बेस असेसमेंट का इस्तेमाल किया जाता है. 


इस एकेडमिक ईयर से किंडरगार्टन से लेकर क्लास 2 तक के छात्रों के लिए एक 'हेलोस्टिक रिपोर्ट कार्ड' पेश किया गया है, जो ट्रेडिशनल रिटेन परीक्षाओं के बजाय उनकी एक्टिविटिज के आधार पर बच्चों के ग्रेडिंग देने पर फोकस करता है. कोच्चि के CBSE स्कूल टीचर्स का भी मानना है कि ग्रेड के बजाय इमोजी का कहीं ज्यादा असर होगा. साथ ही बच्चों को बेहतर प्रेरणा मिलेगी.


बेहतर डेवलपमेंट और कम्यूनिकेशन स्किल पर फोकस
यह बदलाव उनके ओवरऑल डेवलपमेंट, इमोशनल बेनिफिट और अलग-अलग एक्टिविटिज में पार्टिसिपेशन के माध्यम से सीखने पर जोर देकर स्कूल को कम स्ट्रेसफुल बनाने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा है. स्कूलों को उम्मीद है कि फीडबैक सिस्टम के रूप में इमोजी का इस्तेमाल सीखने के आकलन को ज्यादा अट्रैक्टिव बनाएगा और एकेडमिक स्ट्रेस को कम करेगा. यह इनोवेटिव अप्रोच स्किल्स और व्यवहारिक ग्रोथ पर फोकस करते हुए प्रोजेक्ट्स, ग्रुप वर्क और व्यावहारिक प्रैक्टिस जैसी एक्टिविटिज के जरिए स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस पर जोर देता है.


इतना ही नहीं यह बदलाव सीखने के लिए स्टूडेंट-सेंटर्ड अप्रोच को बढ़ावा देता है, जो केवल एकेडमिक ग्रेड के बजाय बच्चे के ओवरऑल विकास पर फोकस करता है. यह उनकी क्रिएटिविटी, टीम वर्क और आलोचनात्मक सोच क्षमताओं के माध्यम से सीखने को बढ़ावा देता है.


सीबीएसई मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष इब्राहिम खान का कहना है, "स्कूल यह महसूस कर रहे हैं कि शुरुआती हस्तक्षेप से परफॉर्मेंस और नंबरों के दबाव को कम करने के अलावा कम उम्र से ही बच्चों में सोशल स्किल्स विकसित करने में मदद मिल सकती है."


बहुत से लोग इस पहल की सराहना कर रहे हैं. वहीं, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ केरल के स्कूल ऑफ एजुकेशन के व्याख्याता अमृत कुमार का कहना है, "बच्चे नंबर्स की बजाय इमोजी के साथ ज्यादा जुड़ते हैं, जिससे एकरसता पैदा होने का खतरा होता है, ऐसी पहल तभी सफल हो सकती है जब टीचर्स ग्रेडिंग मेथड्स के साथ लगातार क्रिएटिव बने रहें. "