'एच-1बी' VISA प्रोग्राम पर एलन मस्क ने दिखाई नरमी, ट्रंप ने भी बदला मन; भारतीयों के लिए कैसे है फायदेमंद
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'एच-1बी' VISA प्रोग्राम पर एलन मस्क ने दिखाई नरमी, ट्रंप ने भी बदला मन; भारतीयों के लिए कैसे है फायदेमंद

Trump VISA Policy: 'एच-1बी' वीजा कार्यक्रम के बचाव में "किसी भी हद तक जाने" का संकल्प लेने वाले एलन मस्क ने इस मुद्दे पर नरमी दिखाई है. उन्होंने स्किल्ड विदेशी वर्कर्स को यूएस लाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सिस्टम में सुधार करने की बात कही है...

'एच-1बी' VISA प्रोग्राम पर एलन मस्क ने दिखाई नरमी, ट्रंप ने भी बदला मन; भारतीयों के लिए कैसे है फायदेमंद

H-1B VISA Program: प्रसिद्ध प्रौद्योगिकी उद्यमी एलन मस्क ने 'एच-1बी' वीजा कार्यक्रम को लेकर अपना रुख बदलते हुए इसे सुधारने की जरूरत पर बल दिया है. उन्होंने हाल ही में ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम त्रुटिपूर्ण है और इसमें बड़े बदलाव की जरूरत है. मस्क ने यह भी कहा कि उनकी कंपनियां, स्पेसएक्स और टेस्ला इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभाशाली विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका लाने में सक्षम रही हैं.

वीजा में सुधार के लिए मस्क के सुझाव
एलन मस्क ने 'एच-1बी' वीजा प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए दो प्रमुख सुझाव दिए. पहला इसमें न्यूनतम वेतन को बढ़ाने की बात की गई है ताकि कंपनियों को घरेलू कर्मचारियों के मुकाबले विदेशियों को नियुक्त करना महंगा पड़े. दूसरा, वार्षिक लागत जोड़ने का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वीजा का उपयोग केवल वास्तविक जरूरतों के लिए किया जाए.

ट्रंप का बदला हुआ रुख
डोनाल्ड ट्रंप अपने पिछले प्रशासन में इस वीजा कार्यक्रम के खिलाफ थे, उन्होंने हाल ही में अपने विचार बदले हैं. उन्होंने कहा, "मुझे हमेशा से वीजा पसंद रहा है और मैं इसके पक्ष में हूं." यह बदलाव तब सामने आया जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने भारतीय-अमेरिकी श्रीराम कृष्णन को अपने आगामी प्रशासन में AI नीति के सलाहकार के रूप में चुना.

भारतीय पेशेवरों के लिए बड़ा अवसर
'एच-1बी' वीजा का अधिकांश लाभ भारतीय आईटी पेशेवरों को मिलता है. हर साल, इस वीजा के जरिए भारत और चीन से हजारों कुशल कर्मचारी अमेरिका में काम करने का मौका पाते हैं. मस्क और ट्रंप के नरम रुख से यह संभावना बढ़ गई है कि इस वीजा का उपयोग और अधिक कुशलता से किया जाएगा, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों को बेहतर अवसर मिल सकते हैं.

अमेरिका में नई बहस की शुरुआत
एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप के बयान से अमेरिका में 'एच-1बी' वीजा पर नई बहस छिड़ गई है. यह बहस तब शुरू हुई जब दक्षिणपंथी विचारधारा वाली इन्फ्लुएंसर लॉरा लूमर ने ट्रंप द्वारा अपने आगामी प्रशासन में एआई नीति पर सलाहकार के रूप में भारतीय-अमेरिकी उद्यमी श्रीराम कृष्णन के चयन की आलोचना की. कृष्णन अमेरिका में अधिक कुशल अप्रवासियों को लाने की क्षमता के पक्षधर हैं. कुछ दक्षिणपंथी समूह इस कार्यक्रम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रौद्योगिकी उद्योग इसे बरकरार रखने के पक्ष में है.

इस बहस में भारतीय-अमेरिकी विवेक रामास्वामी और अन्य उद्यमियों ने वीजा के पक्ष में अपने विचार रखे हैं. लूमर ने इसे 'अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी' के विपरीत बताया और कहा कि ट्रंप के साथ जुड़े सभी उद्यमी एच-1बी के पक्षधर हैं.  बहस तब और तेज हो गई जब रामास्वामी ने अमेरिकी संस्कृति की आलोचना करते हुए कहा कि यह शैक्षणिक उत्कृष्टता और योग्यता के आधार पर सफलता पर ध्यान देने के बजाय सामान्यता को बढ़ावा देती है. 

मस्क ने वीजा को लेकर किए कई पोस्ट
मस्क ने पिछले सप्ताह एक्स पर लिखा था, "मैं उन कई महत्वपूर्ण लोगों के साथ अमेरिका में हूं, जिन्होंने अमेरिका को मजबूत बनाने वाली स्पेसएक्स, टेस्ला और सैकड़ों अन्य कंपनियों का निर्माण किया है, इसका कारण 'एच-1बी' है". 

मस्क ने एक एक्स यूजर के पोस्ट के जवाब में अपने पहले के बयान को वापस ले लिया, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका को दुनिया की सबसे 'श्रेष्ठ प्रतिभाओं' के लिए एक डेस्टिनेशन बनना चाहिए, लेकिन तर्क दिया कि वर्तमान 'एच-1बी' प्रणाली समाधान नहीं है. 

मस्क ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "न्यूनतम वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि करके और ‘एच-1बी’ को बनाए रखने के लिए वार्षिक लागत जोड़कर इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है, जिससे घरेलू स्तर की तुलना में विदेशों से भर्ती करना अधिक महंगा हो जाएगा। मैं इस बात पर बहुत स्पष्ट हूं कि यह कार्यक्रम त्रुटिपूर्ण है और इसमें बड़े सुधार की जरुरत है."

'एच-1बी' वीजा की अहमियत
'एच-1बी' वीजा प्रोग्राम अमेरिका में कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए बनाया गया है. यह गैर-प्रवासी वीजा है, जो तकनीकी विशेषज्ञता वाले कार्यों के लिए विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है. एलन मस्क जैसे उद्योगपति इस प्रोग्राम को देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं. प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर करती हैं. टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री लंबे समय से अमेरिका में अत्यधिक कुशल श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए ज्यादा 'एच-1बी' वीजा की मांग कर रही है. 

(इनपुट - एजेंसी भाषा)

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