Ankurjeet Singh Additional Commissioner: जिस उम्र में ज़्यादातर बच्चे अपने आस-पास की दुनिया को तलाशना सीख रहे होते हैं, अंकुरजीत सिंह ने अपनी दुनिया को धीरे-धीरे अंधेरे में डूबते देखा. उनकी आंखों की रोशनी कम होने लगी और जल्द ही उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देने लगा, लेकिन जब उनकी आंखो की रोशनी चली गई, अंकुरजीत का दृढ़ संकल्प और भी पक्का हो गया. क्या होता है जब एक युवा लड़का, एक ऐसी चुनौती का सामना करता है जिसे पार करना मुश्किल लगता है, लेकिन वह उसे अपने लिए परिभाषित नहीं होने देता? यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने न केवल अपनी आंखो की रोशनी खो दी, बल्कि देश के सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक-आईएएस अधिकारी बनने के लिए अपने डर पर भी विजय प्राप्त की.


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हरियाणा के यमुनानगर में जन्मे अंकुरजीत सिंह ने छोटी उम्र से ही एकेडमिक प्रतिभा दिखाई. हालांकि, उनका जीवन तब बदल गया जब बचपन में उनकी आंखो की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगी. जब वे स्कूल में थे, तब ब्लैकबोर्ड पढ़ना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा था और जल्द ही, युवा लड़का अब देख नहीं सकता था. फिर भी, इससे ज्ञान के प्रति उनकी प्यास कम नहीं हुई. अपने परिवार, खासकर अपनी मां, जो उनके चेप्टर को जोर से पढ़ती थीं, उनके सहयोग से अंकुरजीत ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर अपनी पढ़ाई जारी रखी.


एक स्टूडेंट के रूप में, अंकुरजीत हमेशा एक कदम आगे निकल जाते थे. गर्मियों की छुट्टियों के दौरान, जब दूसरे बच्चे खेलते थे, तो वह अपनी मां की मदद से अपने स्कूल की किताबें खत्म करते थे, ताकि वह केवल सुनकर ही क्लास में दिए जाने वाले लेक्चर को समझ सकें.


12वीं कक्षा में एक टीचर द्वारा मोटिवेट किए जाने पर अंकुरजीत ने एक साहसी कदम उठाया- उन्होंने आईआईटी के लिए आवेदन किया. दृष्टिबाधित होने के बावजूद, अंकुरजीत ने एग्जाम पास कर लिया और आईआईटी रुड़की में सीट हासिल की. ​​यूपीएससी की तैयारी कर रहे दोस्तों से घिरे अंकुरजीत को एक नई चुनौती मिली. स्क्रीन रीडर और टेक्नोलॉजी की हेल्प से उन्होंने यूपीएससी सिलेबस में पूरी तरह से डूबकर, देर रात तक लगातार फोकस करके पढ़ाई की.


2017 में अंकुरजीत की कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 414वीं रैंक हासिल की, जिससे वह यह उपलब्धि हासिल करने वाले कुछ ही दृष्टिबाधित अधिकारियों में से एक बन गए.


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हाल ही में अंकुरजीत सिंह को जालंधर नगर निगम का अतिरिक्त आयुक्त नियुक्त किया गया. हालांकि, वे यहीं नहीं रुके. उनके समर्पण और प्रतिबद्धता को एक बार फिर मान्यता मिली जब पंजाब सरकार ने हाल ही में उन्हें जालंधर विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक के प्रतिष्ठित पद पर ट्रांसफर किया. अपने उल्लेखनीय सफर के माध्यम से, अंकुरजीत दूसरों को मोटिवेट करना जारी रखते हैं.