IAS M Sivaguru Prabhakaran: यूपीएससी पास करना कोई आसान काम नहीं है. यह कड़ी मेहनत और परिवार से आर्थिक सहयोग की डिमांड करता है. आज इस लेख में हम तमिलनाडु के एम. शिवगुरु प्रभाकरण के बारे में बताएंगे, जिन्होंने साल 2017 में तमाम व्यक्तिगत और आर्थिक संघर्षों के बावजूद UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएएस का पद हासिल किया. उनकी दृढ़ता और संकल्प ने उन्हें देश में प्रेरणा का स्रोत बना दिया है.


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शराब की लत के कारण मां पर आई घर की जिम्मेादरी
एक साधारण किसान परिवार में जन्मे, प्रभाकरण ने बचपन से ही आर्थिक तंगी और पारिवारिक समस्याओं का सामना किया. उनके पिता की शराब की लत के कारण पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनकी मां और बहन पर आ गई. इन कठिन परिस्थितियों ने प्रभाकरण को मुश्किलों से लड़ना और मजबूत बनना सिखाया.


बीच में पढ़ाई छोड़ मिल की मजदूरी
इन चुनौतियों के कारण, प्रभाकरण को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी और एक आरा मिल में काम करना पड़ा. उन्होंने दो साल तक वहां काम किया और परिवार का खर्च चलाने के लिए खेती में भी मदद की.


मां और बहन करती थीं खेतों में काम
उन्होंने अपनी मां और बहन को खेतों में दिनभर मेहनत करते और रात में बांस की टोकरी बुनते देखा. यह दृश्य उनकी जिंदगी में बदलाव लाने और एक बेहतर भविष्य बनाने का संकल्प जगाने के लिए काफी था.


बहन की शादी के बाद दोबारा शुरू की पढ़ाई
संघर्ष के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. प्रभाकरण ने अपनी सीमित आय को ध्यान से परिवार की जरूरतों और अपनी पढ़ाई के बीच बांटा. अपनी बहन की शादी के बाद, उन्होंने पढ़ाई फिर से शुरू की और अपने भाई की शिक्षा का भी खर्च उठाया. इन कठिनाइयों के बावजूद, 2008 में उन्होंने वेल्लोर के थंथई पेरियार गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया.


प्लेटफॉर्म पर बैठकर की पढ़ाई
कॉलेज की फीस और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए, प्रभाकरण ने खाली समय में अस्थायी नौकरियां कीं. वह हफ्ते के दिनों में क्लास अटेंड करते और वीकेंड पर चेन्नई के सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बैठकर पढ़ाई करते.


IIT मद्रास में मिला एडमिशन
कहावत है कि मेहनत का फल मीठा होता है. प्रभाकरण की मेहनत रंग लाई जब उन्होंने IIT मद्रास का एम.टेक का एंट्रेंस एग्जाम पास किया. उन्होंने 2014 में अपनी पोस्टग्रेजुएट डिग्री पूरी की.


UPSC में हासिल की 101वीं रैंक
चुनौतियों से डरे बिना, प्रभाकरण ने प्रतिष्ठित UPSC परीक्षा को अपना लक्ष्य बनाया. रास्ते में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन हर बाधा ने उनकी सफलता की चाह को और मजबूत कर दिया. चौथे प्रयास में, उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 101वीं ऑल इंडिया रैंक (AIR) हासिल की, जिससे उन्हें IAS अधिकारी बनने का गौरव मिला.