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सरकार ने ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तरह बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की बजाय, एक नया तरीका सोचा है. आईटी सेकेट्री एस कृष्णन ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में बताया, बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट बनाने से पहले उनके माता-पिता को इसकी लिखित में अनुमति देनी होगी. इस तरह सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि बच्चे सुरक्षित तरीके से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें.
उन्होंने कहा, 'ये फैसला हर समाज को खुद करना होता है. क्या बच्चों को सोशल मीडिया पर पूरी तरह से रोक लगा देना चाहिए? यह एक बड़ा सवाल है. भारत में तो बहुत सारी पढ़ाई भी ऑनलाइन होती है. अगर हम सोशल मीडिया पर पूरी तरह से रोक लगा दें, तो क्या यह सही होगा? इस बारे में बहुत चर्चा हो रही है.
सोशल मीडिया कंपनियां अब गैरकानूनी कंटेंट को बहुत तेजी से हटा रही हैं. कृष्णन ने कहा, 'अब इन कंपनियों द्वारा नियमों का पालन बहुत बेहतर तरीके से हो रहा है. कई मामलों में तो उन्हें ब्लॉक करने की जरूरत ही नहीं पड़ती, कंपनियां खुद ही उन्हें हटा देती हैं. चाहे वह उनकी अपनी नीतियों के आधार पर हो या सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, अब वे बहुत तेजी से कार्रवाई कर रहे हैं.'
क्या भारत में भी ऑस्ट्रेलिया की तरह पूरी तरह के बैन के बारे में सोचा था?
उन्होने बताया, हर समाज को खुद तय करना होता है कि बच्चों को सोशल मीडिया पर कितनी छूट देनी है. भारत में तो बहुत सी पढ़ाई भी ऑनलाइन होती है. अगर हम सोशल मीडिया पर पूरी तरह से रोक लगा दें, तो क्या सही रहेगा? यह एक बड़ा सवाल है. हम तो बस तकनीक के बारे में जानते हैं, लेकिन किसको कितनी आजादी मिलेगी, यह समाज मिलकर तय करेगा. फिर सरकार को इस पर फैसला लेना होगा.
क्या नहीं है पूरी तरह से बैन का कोई प्लान?
आईटी सेकेट्री एस कृष्णन ने इस जवाब पर कहा, 'मुझे नहीं लगता कि अभी तक किसी ने ऐसा सुझाव दिया है. जहां तक प्रतिबंध का सवाल है, मुझे नहीं लगता कि इस पर भी चर्चा हुई है. मेरा मतलब है कि हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि बच्चों को होने वाले नुकसान को कैसे रोका जाए और इसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं. लेकिन, बात पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने तक नहीं पहुंची है.'
क्या कंपनियां नियमों का पालन कर रही है या नहीं?
इस जवाब पर उन्होंने कहा, 'अब कंपनियां नियमों का पालन बहुत बेहतर तरीके से कर रही हैं। कई मामलों में तो उन्हें ब्लॉक करने की जरूरत ही नहीं पड़ती, कंपनियां खुद ही उन्हें हटा देती हैं. चाहे वह उनकी अपनी नीतियों के आधार पर हो या सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, अब वे बहुत तेजी से कार्रवाई कर रहे हैं.'
डिजिटल अरेस्ट पर सरकार कितनी चिंतित?
उन्होंने कहा, 'हम बहुत चिंतित हैं. सबसे पहले, आपको बता दूं कि "साइबर गिरफ्तारी" जैसी कोई चीज़ नहीं होती है. किसी भी भारतीय कानून में ऐसा कुछ नहीं है. शिक्षित लोग भी इसके शिकार हो रहे हैं क्योंकि लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. यहां तक कि प्रधानमंत्री जी ने भी इस मुद्दे पर बात की है, जो दर्शाता है कि हम इस समस्या को कितना गंभीरता से ले रहे हैं. न केवल आईटी मंत्रालय, बल्कि कई अन्य एजेंसियां भी साइबर सुरक्षा में काम कर रही हैं, जैसे गृह मंत्रालय और आई4सी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कार्यालय भी इन समस्याओं का समाधान करने के लिए काम कर रहा है.'