International Yoga Day 2024: पूरे विश्व में 21 जून को इंटरनेशनल योगा डे मनाया जाएगा. इसके लिए भारत में भी बड़े जोर-शोर से तैयारियां हो रही हैं. इसी बीच आज हम बात करेंगे कि आखिर योग के लिए सही शब्द क्या, क्योंकि यह शब्द हर जगह अलग-अलग तरीके से लिखा और पढ़ा जाता है. कहीं इसे योग लिखते और बोलते हैं तो कहीं योगा. आइए जानते हैं कि वेदों में इसे क्या कहा गया है और कहां से ये कंफ्यूजन शुरू हुआ...


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भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के तहत मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के निदेशक डॉ. ईश्वर बसवरड्डी का एक लेख है, 'योग : इसकी उत्पित्ति, इतिहास एवं विकास'. इस लेख में उन्होंने इस सवाल के जवाब के साथ ही योग के बारे में बहुत दी दिलचस्प जानकारियां भी लिखी हैं.


जानिए योग शब्द का अर्थ
डॉ. बसवरड्डी ने योग को बहुत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित एक आध्यात्मिक विषय बताया है. वह कहते हैं कि यह क्रिया मन और शरीर के बीच सामंजस्य बिठाने पर ध्यान देती है, इसीलिए इसे योग कहते हैं. योग संस्कृत भाषा की युज धातु से बना है, जिसका अर्थ है जुड़ना या एकजुट होना. 


योग और योगा में से क्या है सही शब्द?
वहीं, बात करें योगा शब्द की तो इसे योग शब्द की विकृति यानी बिगड़ा हुआ रूप कहा गया है. दरअसल, जब पश्चिमी देशों में योग पहुंचा तो इसे इंग्लिश में Yoga लिखा जाने लगा. वे इसका उच्चारण में भी इसे योगा ही कहते. इसके बाद योग ही धीरे -धीरे आम बोलचाल में योगा हो गया. यूं तो योग और योगा में कोई अंतर नहीं है, लेकित सही शब्द की बात की जाए तो यह योग ही है.


योग की उत्पत्ति 
ऐसी मान्यता है कि इस धरती पर मानव सभ्यता की शुरुआत से ही योग किया जाता रहा है. सिंधु-सरस्वती घाटी सभ्यता के कई जीवाश्म अवशेषों पर योग चित्रित मिलता है. कहते हैं कि योग साइंस का विकास धर्मों और आस्था के जन्म लेने से भी पहले हुआ था. दुनिया के सबसे पुराने सनातन धर्म में भगवान शिव को योग विद्या में पारंगत पहला योगी (आदि योगी) माना जाता है. 


योग सूत्र
डॉ. बसवरड्डी के लेख के मुताबिक वैद, उपनिषद, महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों, बौद्ध और जैन परंपराओं, दर्शनों, शैव-वैष्णव की आस्थाओं आदि सबमें योग समाया हुआ है. भागवद्गीता में तीन तरह के योग ज्ञान, भक्ति और कर्म योग के बारे में डिटेल से बताया गया है. भारत में महर्षि पतंजलि ने को प्राचीन योग का जनक माना जाता है. करीब 5 हजार साल पहले उन्होंने योग सूत्र की रचना की थी, जिसे योग दर्शन का मूल ग्रंथ माना जाता है.