Russia Ukraine War: यूक्रेन में बाइक क्यों दौड़ा रहे रूसी सैनिक? मॉस्को की नई रणनीति से कीव हैरान!
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Russia Ukraine War: यूक्रेन में बाइक क्यों दौड़ा रहे रूसी सैनिक? मॉस्को की नई रणनीति से कीव हैरान!

Ukraine War: एक यूक्रेनी सैन्य अधिकारी ने इन बाइक सवार सैनिकों के बारे में बताते हुए कहा, ‘वे तेजी से आगे बढ़े, फैल गए और मुड़ गए.’

Russia Ukraine War: यूक्रेन में बाइक क्यों दौड़ा रहे रूसी सैनिक?  मॉस्को की नई रणनीति से कीव हैरान!

Russian Army: जंग के बीच अब रूसी सैनिक यूक्रनी क्षेत्रों में बाइक दौड़ाते नजर आ रहे हैं. हालांकि ये बाइक सवार फौजी एक खतरनाक मकसद के लिए ऐसा करते हैं. ये फौजी दरअसल दुश्मन पर हमला करते हैं और बिजली की रफ्तार से वापस चले जाते हैं. सीमा रेखा के आसपास इस तरह के ‘बाइक अटैक’ काफी बढ़ गए हैं.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक लेफ्टिनेंट मिखाइलो हुबित्स्की ने रूसी मोटरसाइकिल हमले का वर्णन करते हुए कहा, ‘वे तेजी से आगे बढ़े, फैल गए और मुड़ गए.’

लगातार हो रहे हैं बाइक सवार सैनिकों के अटैक
सैनिकों और कमांडरों का कहना है कि मोटरसाइकिल, डर्ट बाइक, क्वाड्रीसाइकिल और ड्यून बग्गी पर सवार रूसी सैनिक अब लगातार हमले कर रहे हैं. वे मोर्चे के कुछ इलाकों में होने वाले सभी हमलों में से लगभग आधे के लिए जिम्मेदार हैं.

रूस ने क्यों अपनाई नई रणनीति
रूस ने यह यह नई रणनीति भारी मात्रा में बारूदी सुरंगों से भरे, लगातार निगरानी वाले युद्धक्षेत्र के लिए अपनाई है. मॉस्को की सेनाएं अक्सर कुछ सौ गज की दूरी पर छोटे सामरिक लाभ हासिल करने की कोशिश करती है.

डोनबास के आसमान में टोही ड्रोनों की मौजूदगी दोनों सेनाओं के बख्तरबंद वाहन को आसाना टारगेट बना देती है. लेकिन तेज रफ्तार मोटरसाइकिलों और बग्गियों को तोपखाने से निशाना बनाना मुश्किल है. वे उन बारूदी सुरंगों से बचने के लिए मुड़ सकते हैं जिन्हें बख्तरबंद वाहन ऑपरेटर शायद न देख पाएं.

सस्ती, डिस्पोजेबल डर्ट बाइक और बग्गियों का उपयोग रूसी बख्तरबंद वाहनों को संरक्षित करने में भी मदद करता है.

नई रणनीति की कमियां
हालांकि बाइक का नुकसान यह है कि ये रूसी सैनिकों को कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करती हैं, जो खाइयों के पास पहुंचने पर मशीन गन की बौछारों के संपर्क में आते हैं. यदि वे किसी मैदान को पार कर जाते हैं, तो सवार अपनी बाइक को एक तरफ रख देते हैं,  यूक्रेनी खाई में प्रवेश करते हैं और पैदल ही नजदीकी लड़ाई में शामिल हो जाते हैं.

यूक्रेनी सार्जेंट वोलोडिमिर ने कहा, ‘वे ऐसा करने के लिए इच्छुक लोगों को कैसे ढूंढते हैं, मुझे नहीं पता. कभी-कभी, उनमें से कोई भी सफल नहीं होता.’ लेकिन इसने रूसी कमांडरों को इस रणनीति को जारी रखने से नहीं रोका है.

47वीं ब्रिगेड के सार्जेंट सैपसन ने कहा, ‘सभी पेड़ की कतारें अब इन बग्गियों और मोटरसाइकिलों से भरी हुई हैं.’

(Photo: Symbolic)

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