ONOS: वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन स्कीम क्या है, कैसे 1.8 करोड़ स्टूडेंट; रिसर्चर और टीचर्स को होगा फायदा?
One Nation One Subscription: सरकार ने कहा कि यह पहल सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, रिसर्च इंस्टीट्यूट्स और आर एंड डी लैबोरेटरीज में रिसर्च, डिवेलपमेंट और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए की गई है.
ONOS Scheme: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर के कॉलेज, यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, टीचर्स और रिसर्चर्स को इंटरनेशन रिसर्च आर्टिकल और मैग्जीन तक पहुंच प्रदान करने के लिए 'वन नेशन वन सब्सिक्रिप्शन' (ओएनओएस) स्कीम को मंजूरी दे दी है. केंद्र ने अगले तीन साल के लिए इस स्कीम के लिए लगभग 6,000 करोड़ रुपये अलॉट किए हैं.
सरकार ने कहा कि यह पहल सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, रिसर्च इंस्टीट्यूट्स और आर एंड डी लैबोरेटरीज में रिसर्च, डिवेलपमेंट और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए की गई है.
इस नई स्कीम की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-
यह पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया होगी और मैग्जीन तक पहुंच सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (INFLIBNET) द्वारा समन्वित राष्ट्रीय सदस्यता के माध्यम से प्रदान की जाएगी, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का एक ऑटोनॉमस इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर है. उच्च शिक्षा विभाग के पास एक इंटीग्रेट पोर्टल होगा, "वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन", जिसके माध्यम से संस्थान मैग्जीन तक पहुंच सकेंगे.
वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन स्कीम में तीस (30) प्रमुख इंटरनेशनल जर्नल प्रकाशकों को शामिल किया गया है. सब्सक्राइबर्स को उनके द्वारा प्रकाशित लगभग 13,000 ई-जर्नल तक पहुंच मिलेगी.
इस स्कीम से टियर 2 और टियर 3 सिटी समेत सभी सब्जेक्ट के लगभग 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को लाभ मिलने की उम्मीद है.
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित उच्च शिक्षा संस्थान दोनों ही वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन के लिए पात्र होंगे. इसका लाभ केंद्र द्वारा वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को भी मिलेगा. इस योजना के तहत 6,300 से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थान और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास संस्थान शामिल होंगे.
अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) समय-समय पर यूजर्स संस्थानों के भारतीय लेखकों की सदस्यता और प्रकाशनों के उपयोग की समीक्षा करेगा. उच्च शिक्षा विभाग और अन्य मंत्रालय जिनके प्रबंधन में उच्च शिक्षा संस्थान और अनुसंधान एवं विकास हैं, वे छात्रों, शिक्षकों और रिसरचर्स के बीच सदस्यता के बारे में अभियान चलाएंगे.
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