CGPSC Office: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) रायपुर में बीटेक कर राज्य लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) ऑफिस में चपरासी के पद पर कार्यरत शैलेंद्र कुमार बांधे ने कड़ी मेहनत से राज्य लोक सेवा परीक्षा पास कर अधिकारी बनने का सपना पूरा कर लिया. बांधे राज्य के उन युवाओं के लिए मोटिवेशन बन गए हैं जो इस परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं.


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बांधे ने अपने पांचवें अटेंप्ट में सीजीपीएससी-2023 परीक्षा पास की है, जिसके रिजल्ट पिछले सप्ताह घोषित किए गए थे. उन्हें जनरल कैटेगरी में 73वीं रैंक और रिजर्व कैटेगरी में सेकंड रैंक मिली है. बांधे ने कहा कि वह अपने माता-पिता की मदद के बिना ऐसा नहीं कर पाते, जिन्होंने हर फैसले में उनका साथ दिया.


बांधे ने कहा, "इस साल मई में मुझे सीजीपीएससी ऑफिस में चपरासी के पद पर नियुक्त किया गया. फिर मैंने इस साल फरवरी में आयोजित सीजीपीएससी-2023 प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली. इसके बाद मैंने मुख्य परीक्षा की तैयारी जारी रखी क्योंकि मैं अधिकारी बनना चाहता था."


अनुसूचित जाति समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बांधे राज्य के बिलासपुर जिले के बिटकुली गांव के एक किसान परिवार से हैं. अब वह रायपुर में बस गए हैं. बांधे ने बताया कि उन्होंने रायपुर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) रायपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की.


एक प्रतिष्ठित संस्थान से इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, उन्हें प्रमुख निजी फर्मों में नौकरी मिल सकती थी लेकिन उन्होंने 'प्लेसमेंट इंटरव्यू' में शामिल नहीं होने का फैसला किया क्योंकि वह सरकारी नौकरी पाना चाहते थे.


बांधे ने कहा कि उन्हें एनआईटी रायपुर में अपने एक सुपर सीनियर हिमाचल साहू से प्रेरणा मिली, जिन्होंने सीजीपीएससी-2015 परीक्षा में फर्स्ट रैंक हासिल की थी. उन्होंने कहा, "मैं पहले अटेंप्ट में प्री एग्जाम में असफल रहा और अगले अटेंप्ट में मैं मेंस परीक्षा पास नहीं कर सका. तीसरे और चौथे अटेंप्ट में, मैं इंटरव्यू के लिए योग्य हो गया, लेकिन इसमें सफल नहीं हो सका. आखिर में, पांचवें अटेंप्ट में मुझे सफलता मिली."


बांधे ने कहा, "सीजीपीएससी की परीक्षा की तैयारी में लगातार एक के बाद एक साल बीतने के दौरान मुझे चपरासी की नौकरी चुननी पड़ी क्योंकि परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए इसकी जरूरत थी, लेकिन इसके साथ ही मैंने राज्य सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी."


जब उनसे पूछा गया कि क्या चपरासी के तौर पर काम करने में उन्हें असहजता महसूस होती है तो उन्होंने कहा, "कोई भी नौकरी बड़ी या छोटी नहीं होती, क्योंकि हर पद की अपनी गरिमा होती है. चाहे वह चपरासी हो या डिप्टी कलेक्टर, हर नौकरी में ईमानदारी और पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करना होता है."


बांधे ने कहा, "कुछ लोग मुझे ताना मारते थे और चपरासी के तौर पर काम करने के लिए मेरा मजाक उड़ाते थे लेकिन मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया. मेरे माता-पिता, परिवार और ऑफिस ने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझे मोटिवेट किया."


बांधे के पिता संतराम बांधे एक किसान हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे की कड़ी मेहनत और समर्पण को सलाम करते हैं. वह अधिकारी बनने के लिए पिछले पांच सालों से तैयारी कर रहा था. कुछ असफलता मिली लेकिन हार नहीं मानी. मुझे उम्मीद है कि मेरा बेटा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बनेगा, जो सरकारी नौकरी पाने और देश की सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.


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इनपुट एजेंसी से