Invention of Traffic Light: पहले ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक कंट्रोल करती थी. 19वीं सदी के आखिरी में औद्योगिक क्रांति के साथ पूरी दुनिया में शहरों का तेजी से विकास हुआ. इसी के साथ गाड़ियों की संख्या में भी इजाफा हुआ, जिससे सड़कों पर जाम लगने की समस्या आम हो गई. इससे निपटने के लिए एक ऐसे उपकरण की जरूरत महसूस हुई जो ट्रैफिक कंट्रोल कर सके, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ट्रैफिक सिग्नल का आविष्कार किसने किया और कहां से इसका आइडिया आया? जानिए यहां...


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ऐसे आया ट्रैफिक सिग्नल का आइडिया
पहले लंदन में घोड़े, इक्के और बग्घियां चला करती थीं और सड़कें सवारियों से पटी रहतीं. पैदल यात्रियों के लिए मुश्किल होता. सबसे ज्यादा परेशानी आती थी भीड़-भाड़ वाले पार्लियामेंट स्क्वायर पर, जहां अक्सर एक्सीडेंट होते और घोड़ों की चपेट में कोई न कोई आकर घायल हो जाता. इस समस्या से निपटने के लिए ट्रैफिक सिग्नल का आइडिया आया. इस तरह सबसे पहले ट्रैफिक लाइट का आविष्कार ब्रिटेन में हुआ था. 


दुनिया का पहला ट्रैफिक सिग्नल
1868 में लंदन में एक गैस से चलने वाली ट्रैफिक लाइट लगाई गई थी. इस ट्रैफिक लाइट में दो कलर रेड और ग्रीन थे, जिसमें रेड यानी रुकना और ग्रीन रंग का मतलब चलना होता था. 10 दिसंबर 1868 को पहली बार लंदन के पार्लियामेंट स्क्वायर पर ट्रैफिक सिग्नल लगाया गया, तब इसे मैन्युअल ऑपरेट करना पड़ता था. एक खंभेनुमा पाइप में दो तरह की लाइट्स रेड और ग्रीन लगी होती थीं. एक पुलिसकर्मी पाइप से इनमें गैस भरके इसे ऑपरेट करता था. गैस वाली ट्रैफिक लाइट बहुत खतरनाक भी थीं. जानकारी के मुताबिक एक बार गैस भरते समय धमाका हुआ, जिसमें ऑपरेटर गंभीर रूप से घायल हो गया. 


पहली इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट
कई रिपोर्ट्स के मुतबिक 1912 में साल्ट लेक सिटी, यूटा में एक पुलिसकर्मी लेस्टर वायर ने पहली इलेक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट विकसित की गई थी. वहीं, 1920 के दशक में ट्रैफिक लाइट में तीसरा यलो कलर जोड़ा गया. पहली चार-तरफा, थ्री सेक्शन वाली ट्रैफिक लाइट 1920 में मिशिगन के डेट्रायट में पुलिस ऑफिसर विलियम पॉट्स द्वारा बनाई गई थी


साल 1923 में वैज्ञानिक गैरेट मोर्गन के तीन-स्थिति वाले ट्रैफिक सिग्नल के लिए 1923 को पेटेंट संख्या 1,475,024 प्रदान की गई. इसके बाद दूसरे देशों में धीरे-धीरे ट्रैफिक सिग्नल लगाने की शुरुआत हुई. वहीं, भारत में ट्रैफिक लाइट का इस्तेमाल 20वीं सदी के मध्य में शुरू हुआ. दक्षिण भारत में पहली ट्रैफ़िक लाइट 1953 में चेन्नई के एग्मोर जंक्शन पर लगाई गई थी. बैंगलोर में 1963 में कॉर्पोरेशन सर्किल में पहली ट्रैफिक लाइट लगी थी. समय के साथ ट्रैफिक लाइट में कई बदलाव हुए और इसमें नए-नए फीचर जोड़े गए. आज के समय में ट्रैफिक लाइट में पैदल यात्रियों के लिए भी संकेत होते हैं.