Success Story Of IAS M Sivaguru Prabhakaran: ज्यादातर युवा कुछ बेहतर करने की चाह में आने वाली परेशानियों से हार जाते हैं. वहीं, कुछ प्रिविलेज न मिलने के कारण अपनी आकांक्षाओं को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बाधाओं के खिलाफ जाते हैं. हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के एक आईएएस अधिकारी एम शिवगुरु प्रभाकरन के बारे में...


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अटूट समर्पण की कहानी
किसान परिवार में जन्मे प्रभाकरण ने अपनी मां और बहन की अथक मेहनत को देखा हैं. बताया जाता है कि उनके पिता की शराब की लत थी, जिसके कारण आए दिन घर में से लड़ाईयां होती थीं, इस माहौल में उनके परिवार की दोनों महिलाओं रोजी-रोटी के लिए कड़ी मेहनत कर रही थीं. इन चुनौतियों के बावजूद प्रभाकरन ने अपने सपनों को पूरा करने की ठानी.


जानकारी के मुताबिक उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी. वह आरा मिल संचालक थे. हालांकि, अपनी बहन की शादी के बाद उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की. अपने भाई और खुद की शिक्षा का प्रबंधन करते हुए उन्होंने वेल्लोर में थानथाई पेरियार गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. यहां अपनी पढ़ाई और गुजारा चलाने के लिए काम भी किया. 


रेलवे स्टेशन पर बिताईं कई रातें 
फुल टाइम काम के साथ वीकेंड की पढ़ाई को बैलेंस करते हुए उन्होंने इस सफर में कई कठिनाइयों को सहन किया. उन्होंने अक्सर सेंट थॉमस माउंट रेलवे स्टेशन पर रातें बिताईं. यह कहना गलत नहीं होगा कु उनकी दृढ़ता ने ही उन्हें चुनौतियों का सामना करने में मदद की. अपनी मेहनत की बदौलत आईआईटी-एम प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद 2014 में उनकी एमटेक की पढ़ाई पूरी हुई. 


कई बार हुए असफल
मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद प्रभाकरन ने कई बाधाओं का सामना करते हुए यूपीएससी फोकस किया और वह अपने तीन प्रयासो में असफल रहे, लेकिन उनका संकल्प अटल रहा.  अपने चौथे प्रयास में एआईआर 101 रैंक हासिल कर एम शिवगुरु प्रभाकरन आईएएस बनकर ही दम लिया. इस तरह आर्थिक तंगी और पारिवारिक संघर्षों की पृष्ठभूमि में आईएएस अधिकारी प्रभाकरण की जीवन यात्रा शुरू हुई, लेकिन अपने सपनों को पूरा कर उन्होंने विपरीत हालातों को पूरी तरह बदल दिया.