Mark Normalization: क्या है मार्क्स नॉर्मलाइजेशन और क्यों कर रहे स्टूडेंट इसके खिलाफ UPPSC के सामने प्रदर्शन?
Uttar Pradesh Public Service Commission: एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा कराने वाली संस्था अभ्यर्थियों का नंबर औसत करने के लिए नॉर्मलाइजेशन करती है.
UPPSC Pre Normalization: जब एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा आयोजित होती है तो ऐसी स्थिति में परीक्षा कराने वाली संस्था की ओर से नॉर्मलाइजेशन कराकर सभी कैंडिडेट्स के मार्क्स को नॉर्मल किया जाता है. चूंकि कई बार ऐसा होता है कि पहली शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर सामान्य आ जाते हैं. ऐसे में पहली शिफ्ट की परीक्षा में बैठे छात्र ज्यादा सवाल हल करते हैं. जबकि अगली शिफ्ट में कई बार कठिन पेपर आ जाते हैं. ऐसे में अभ्यर्थी ज्यादा सवाल नहीं कर पाते. इसके साथ ही जितने शिफ्ट में परीक्षा आयोजित होती है उन सभी शिफ्ट के आधार पर नॉर्मलाइजेशन किया जाता है.
इसका मकसद होता है कि किसी बच्चे को नुकसान न हो, इसलिए नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाई जाती है. इसे कैंडिडे्टस डक वर्थ लुइस नियम की तरह बता रहे हैं. पीसीएस से ज्यादा आरओ-एआरओ की परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन ज्यादा असर करेगा. जितने ज्यादा शिफ्ट होते हैं नॉर्मलाइजेशन का असर उतना ज्यादा होता है.
इन परीक्षाओं में भी लागू है नॉर्मलाइजेशन
एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा कराने वाली संस्था अभ्यर्थियों का नंबर औसत करने के लिए नॉर्मलाइजेशन करती है. यूपी लोक सेवा आयोग से पहले कर्मचारी चयन आयोग (SSC), पुलिस भर्ती परीक्षा, रेलवे भर्ती बोर्ड, एनटीए समेत कई परीक्षाओं को एक से ज्यादा शिफ्ट में कराया जाता है. जिसके बाद उनके मार्क्स का नॉर्मलाइजेशन किया जाता है.
नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला का कैंडिडेट्स क्यों कर रहे हैं विरोध
नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला से हर शिफ्ट में कैंडिडेट्स का प्रतिशत स्कोर निकाला जाएगा और फिर इसी से मेरिट बनाई जाएगी. दोनों शिफ्टों की परीक्षा का प्रतिशत स्कोर अलग-अलग होगा, क्योंकि दोनों शिफ्ट की परीक्षा में कैंडिडेट्स की संख्या एक जैसी नहीं होगी. जिससे अभ्यर्थियों को नुकसान होने की संभावना है. इसलिए अभ्यर्थी इसका विरोध कर रहे हैं. जब परीक्षा एक ही दिन में एक ही शिफ्ट में होगी, तो इस फॉर्मूला की जरूरत नहीं होगी.
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