IAS Success Story in Hindi: जब कुछ कर दिखाने के लिए इरादे बुलंद हों, तो विपरीत परिस्थितियों में भी राहें बनने लगती हैं. यह कानपुर के सूरज सिंह परिहार पर सटीक बैठती हैं. परिस्थितियां प्रतिकूल थीं, इसके बावजूद सिविल सेवा परीक्षा में पास होने का दृढ़ निश्चय उनको इस मुकाम तक ले आया. 


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सूरज कुमार के मुताबिक उनके परिवार का सपना पूरा हो गया. उन्होंने आईएएस बनने का सपना देखा जरूर था, लेकिन पता नहीं था, कैसे पूरा होगा. परिस्थितियां अनुकूल नहीं थीं. घर मैं पापा प्राइवेट सेक्टर से रिटायर हो गए थे. परिवार में अकेले सूरज ही कमाने वाले थे. ग्रेजुएशन के बाद ही दिल्ली आ गए थे और इंटरनेशनल बीपीओ में जॉब करने लगे. 2005 से 2007 तक बीपीओ में काम किया. 


उसके बाद 2008 से 2012 तक स्टेट बैंक ऑफ महाराष्ट्र में पीओ की नौकरी की. जॉब के साथ तैयारी करना मुश्किल था और जॉब छोडना भी आसान नहीं था. फिर 2012 में एसएससी के द्वारा कस्टम एवं एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर चयन हुआ. आखिरकार जो चाहता थे, वह मंजिल मिल ही गई.


सूरज का आईएएस का यह तीसरा प्रयास था. पहले प्रयास में सेलेक्शन नहीं हुआ था. दूसरे प्रयास में भी इंटरव्यू तक पहुंचे थे. फिर फाइनली तीसरे अटेंप्ट में सफलता मिली. सूरज ने बीए और एमए की किताबों के अलावा एनसीईआरटी की किताबों से तैयारी की. सामान्य अध्ययन के लिए सेल्फ स्टडी की. हिंदी साहित्य के लिए दिल्ली में कोचिंग ली. 


तैयारी में सबसे जरूरी है कि यूपीएससी के सिलेबस को कवर करें. बुक्स को कवर न करें, टॉपिक्स को कवर करें. इसके अलावा उत्तर देते समय ध्यान रखें कि उत्तर क्रिएटिव होना चाहिए. इसके अलावा एनालिसिस करें. पैराग्राफ बड़े नहीं होने चाहिए. फैक्ट्स ठीक हों. 


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