IRS Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना कठिन काम है, इसके लिए किसी को न केवल एक बहुत बड़े सिलेबस को पढ़ना पड़ता है बल्कि खुद को करंट अफेयर्स से भी अपडेट रखना है. साथ ही, कुछ सब्जेक्ट ऐसे भी हैं जिनके सिलेबस में हर साल नई चीजें जुड़ती हैं. ऐसी परिस्थितियों में, ज्यादा तनावग्रस्त होने के बाद उम्मीदवारों के लिए मेल्टडाउन होना स्वाभाविक है. और इस तरह के तनाव से निपटने का हर उम्मीदवार का तरीका अलग होता है. कोई योग करता है, कोई स्पोर्ट्स, तो कोई दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आईआरएस अधिकारी नेहा नौटियाल ने फिल्म देखने, नॉवेल पढ़ने और फिर से परीक्षा की तैयारी करने से पहले आराम करने और खुद को रिफ्रेश करने के लिए समय निकाला. उनके मामले में तनाव ज्यादा था क्योंकि वह सीएसई की तैयारी के दौरान फुल टाइम नौकरी कर रही थी. हालांकि, समय की कमी के बावजूद, उन्होंने 2011 में अपने दूसरे अटेंप्ट में परीक्षा पास की और भारतीय राजस्व सेवा में शामिल होने का ऑप्शन चुना, हालांकि उनके पास भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने का ऑप्शन भी था.


उत्तराखंड के देहरादून में जन्मी और पली-बढ़ी नेहा नौटियाल के पिता पोस्ट ऑफिस में काम करते थे. और उनकी मां हाउस वाइफ हैं. दो भाई-बहनों में सबसे छोटी, नेहा अपने स्कूल के दिनों से पढ़ाई में एक एवरेज स्टूडेंट थीं.


उन्होंने केंद्रीय विद्यालय स्कूल, देहरादून में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, जिसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अजमेर, राजस्थान चली गईं. उन्होंने चार साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में बीएससी और  बी.एड. कर ग्रजुऐशन की पढ़ाई पूरी की. अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह अपने गृहनगर, देहरादून वापस चली गईं, और वहां से जूलॉजी में एमएससी किया.


नेहा नौटियाल ने यूपीएससी सीएसई में अपना पहला अटेंप्ट साल 2010 में दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से, इसमें सफल नहीं हो पाईं. हालांकि, उन्होंने उम्मीद नहीं खोई और एक और प्रयास के लिए तैयार होने का फैसला किया, यह सब एक आईटी पेशेवर के रूप में काम करते हुए हो रहा था. 


कई बार, जब वह निराश महसूस करती थीं और हार मान लेना चाहती थीं, तो उन्होंने 1-2 दिनों का ब्रेक लिया, जिसके दौरान उन्होंने फिल्मों, नॉवेल या घूमने फिरने में खुद को शामिल किया. हालांकि, उन्होंने अपने लक्ष्य को ध्यान में रखा और खुद को याद दिलाती रहीं कि उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है.


2011 में उन्होंने एक और अटेंप्ट दिया, और फाइनल लिस्ट में अपना नाम देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने AIR-185 रैंक हासिल की थी और उन्हें एक IPS अधिकारी का पद सौंपा गया था. हालाँकि, वह हमेशा एक आईआरएस अधिकारी बनना चाहती थी और इसलिए, उन्होंने इस सेवा को चुना.


पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की ज़रूरत नहीं