ISRO XPoSat Mission: साल 2023 में इसरो ने चंद्रयान-3 की सफलता पूर्वक लॉन्चिंग के बाद पूरी दुनिया को अपनी काबिलियत दिखा दी. इसता ही कापी नहीं था कि आद‍ित्‍य एल1 के जरिए सूरज से जुड़े रहस्यों का जानने की कवायद शुरू कर दी. बीते साल में इसरो के ये सफल मिशन ने भारतीयों को खुश होने की बड़ी वजह दी. अब नए साल में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) फिर एक नया इतिहास रचने की तैयारी में कमर कस के बैठा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जी हां, इसरो 1 जनवरी 2024 को पहला एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) लॉन्च करने के लिए तैयार है. इसे इसरो एक्सपोसैट म‍िशन (ISRO XPoSat Mission) नाम दिया गया है. आइए जानते हैं इसरो के इस नए अभियान से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें....


लंबी अवधि का है मिशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नए साल के पहले ही दिन यानी 1 जनवरी को पहले एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) लॉन्च करने जा रहा है. अंग्रेजी कैलेंडर के नए साल का स्वागत अपने तरीके से करने के लिए तैयार इसरो ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठाएगा.  अक्टूबर 2023 में गगनयान परीक्षण यान 'डी1 मिशन' की सफलता के बाद यह लॉन्चिंग की जा रही है. इस मिशन का लाइफटाइम लगभग 5 साल का होगा. 


काउंटडाउन शुरू
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी58 (PSLV-C58) रॉकेट अपने 60वें मिशन पर प्रमुख पेलोड 'एक्सपोसैट' और 10 अन्य सैटेलाइट लेकर जाएगा, जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक श्रीहरिकोटा स्‍पेस सेंटर से 1 जनवरी 2014 को सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर होने वाले प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती आज सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर शुरू हुई.


ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया
एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों को जानने और ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया पर स्टडी करने में मददगार साबित होगा. इसरो के अनुसार यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक सैटेलाइट है. 


एक्सपोसैक्ट मिशन निभाएगा अहम भूमिका
इसरो के मुताबिक एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है और इस संदर्भ में एक्सपोसैक्ट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा. इसरो के अलावा अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का अध्ययन किया था.