NEET-UG 2024 Grace Marks Controversy: नीट-यूजी 2024 के नतीजों को लेकर चल रहे विवाद के बीच अभिभावकों ने जिले के उच्च अधिकारियों से शिकायत कर केंद्र से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. अभिभावकों ने इसे देशभर में एक बड़ा घोटाला करार दिया है. उन्होंने नतीजों के समय पर संदेह जताते हुए आरोप लगाया कि इसे 14 जून को घोषित किया जाना था, लेकिन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने कथित घोटाले में अधिकारियों और केंद्र सरकार का ध्यान जाने से बचाने के लिए लोकसभा चुनाव 2024 के वोटों की मतगणना के दिन 4 जून को इसे घोषित कर दिया, जिससे छात्रों को भारी नुकसान हुआ.


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हालांकि, एनटीए ने बुधवार को कहा कि परीक्षा के समय के नुकसान का पता लगा लिया गया है और ऐसे उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स देकर मुआवजा दिया गया है. एनटीए ने स्पष्ट किया कि, "इसी लिए कई उम्मीदवारों के अंक 718 या 719 हैं." एनटीए ने कहा कि नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET-UG) 2024 के दौरान समय के नुकसान का सामना करने वाले उम्मीदवारों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं.


हरियाणा के जींद जिले के मूल निवासी कृष्ण शर्मा, जिनकी बेटी कथित विसंगतियों के कारण प्रभावित हुई है, उन्होंने कहा कि देश में हजारों छात्र हैं, जिन्हें परेशान किया गया है. सबसे बड़ी बात कि इस साल 67 छात्रों की काफी आश्चर्यजनक 720 में से पूरे 720 मार्क्स प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा भी नीट-यूजी के परिणामों में कई अन्य गलतियां दिखाई देती हैं, जैसे - पूरे 720 में से 720 मार्क्स प्राप्त करने वाले कुल छात्रों में से 6 छात्रों की सीट संख्या एक ही क्रम से है और वे सभी हरियाणा से ही हैं, जो उनके एक ही केंद्र से होने की संभावना को दर्शाता है.


इसके अलावा, 718 और 719 मार्क्स प्राप्त करने वाले छात्रों के स्कोरकार्ड भी सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पेपर में ऐसा करना असंभव है, क्योंकि प्रत्येक नीट प्रश्न के लिए चार मार्क्स होते हैं और जवाब गलत देने पर नेगेटिव मार्किंग के तौर पर एक मार्क्स काट लिया जाता है. ऐसे में किसी एक प्रश्न गलत होने पर भी छात्र को ज्यादा से ज्यादा 715 मार्क्स या कुल प्रश्नों में से केवल एक प्रश्न ना अटेंप्ट करने पर 716 मार्क्स दिए जा सकते हैं. 718 या 719 मार्क्स किसी कीमत पर किसी भी छात्र को नहीं मिल सकते. 


हालांकि, हाई कट-ऑफ ने उन उम्मीदवारों की संख्या को पीछे धकेल दिया है, जो इस बार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन पाने के इच्छुक थे. कृष्ण शर्मा ने कहा, "एनटीए को उन छात्रों को एक्सट्रा समय देना चाहिए था, जिन्होंने समय के नुकसान का सामना किया है, न कि ग्रेस अंक देकर, जिससे हर छात्र के लिए परेशानी खड़ी हो गई है. यह कोई ऑनलाइन परीक्षा नहीं थी, जिसमें संबंधित केंद्र किसी अवांछित स्थिति के मामले में एक्सट्रा समय नहीं दे सकता था, बल्कि यह ऑफलाइन मोड परीक्षा थी और इसमें एक्सट्रा समय देना संभव था. लेकिन ऐसा लगता है कि अधिक राशि वसूल कर कुछ चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए घोटाला किया गया है. ग्रेस मार्क्स देना पूरी तरह से गलत है और इस गलत कदम से छात्र और अभिभावकों का मनोबल भी गिरा है. यह छात्रों के समानता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसे संबंधित अधिकारियों को प्रभावित छात्रों को राहत प्रदान करने के लिए उठाना चाहिए." 


जींद जिले के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर हरीश वशिष्ठ ने कहा कि अभिभावकों द्वारा एक शिकायत प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि उनकी समस्याएं और शंकाएं वास्तविक लगती हैं और उच्च अधिकारियों को अवगत कराकर मामले को उठाया जा रहा है.