Success Story Of IAS Mohammad Ali Shihab: हमारे देश के युवाओं में सिविल सेवा को लेकर एक अलग ही जुनून देखने को मिलता है. हर साल लाखों युवा यूपीएससी के सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी करते हैं. हालांकि, उनमें से कुछ ही अपनी मंजिल तक पहुंच पाते हैं. यह सफर चुनौतियों भरा होता है और ज्यादातर यूपीएससी एस्पिरेंट के लिए तो बहुत लंबा भी होता है. आज हम एक ऐसे ही शख्स की कहानी लेकर आए हैं, जिन्होंने जीवन में आने वाली इतनी परेशानियों से हार नहीं मानी और 


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बेहद मुश्किलों में बीता बचपन


मोहम्मद अली शिहाब की कहानी उन लोगों को आगे बढ़ेन के लिए प्रेरित करती है तो असफलता मिलने के कारण निराश हो जाते हैं. शिहाब का बचपन इतनी कठिन परिस्थितियों में गुजरा की, उनकी कहानी पढ़कर आपकी भी आंखें नम हो जाएगी. बचपन से ही इतना संघर्ष करने के बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहे. 


आर्थिक तंगी के चलते जाना पड़ा अनाथालय


मोहम्मद अली शिहाब केरल के रहने वाले हैं.  शिहाब का एक बड़ा भाई, एक बड़ी बहन और दो छोटी बहनें हैं. उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र में ही एक बीमारी के चलते अपने पिता को खो दिया. इसके बाद शिहाब की माता पर परिवार की पूरी जिम्मेदारी आ गई. आर्थिक हालात और खराब होने लगे, जिसके कारण बच्चों की पालन-पोषण मुश्किल हो गया. इसलिए उनकी माता ने चारों बच्चों को अनाथालय भेज दिया. शिहाब ने अपने जीवन के 10 साल अनाथालय में गुजारे. 


21 सरकारी परीक्षाएं भी पास की 


अनाथालय में रहते हुए शिहाब पढ़ाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वह पढ़ने में बहुत होशियार थे. उन्हें हायर एजुकेशन करना था, लेकिन पैसों की कमी थी. ऐसे में शिहाब ने सरकारी एजेंसी की परीक्षा की तैयारी की. एजेंसी की ओर से आयोजित होने वाली 21 परीक्षाओं में शिहाब ने सफलता हासिल की थी. शिहाब ने वन विभाग, जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक के पदों पर भी नौकरी की है. 


दो बार मिली असफलता


यूपीएससी सिविल सर्विस की परीक्षा में अपने पहले दो प्रयासों में शिहाब असफल रहे. उन्होंने साल 2011 में अपनी कमियों पर काम करते हुए तीसरे अटैम्प्ट में  ऑल इंडिया रैंक 226 के साथ यूपीएससी का एग्जाम क्रैक कर लिया. इस तरह कठिन परिस्थितयों में हार नहीं मानी और अपना सपना पूरा कर ही लिया. आईएएस बनकर  उन्होंने अपनी जिंदगी और आर्थिक हालात को पूरी तरह से बदल दिया.