IAS Pratibha Verma: आईएएस प्रतिभा वर्मा की कहानी जीवन में बाधाओं पर काबू पाने का एक आदर्श उदाहरण है. उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर सुल्तानपुर से ताल्लुक रखने वाली, वह UPSC परीक्षा 2019 में ऑल इंडिया रैंक 3 हासिल करने में सफल रहीं, हालांकि यह आसान लग रहा है, यह प्रतिभा के लिए एक लंबी और परेशानी भरी जर्नी थी, जो अक्सर अपनी तैयारी के दौरान बीमार पड़ जाती थीं. प्रतिभा पहले इंजीनियर बनीं, फिर आईआरएस अधिकारी और बाद में आईएएस बनीं.


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उनके लिए सबसे बड़ी बाधा यह थी कि वह हिंदी मीडियम में थीं. यूपी बोर्ड से 10वीं और सीबीएसई बोर्ड से 12वीं पास करने के बाद, वह आईआईटी दिल्ली से बी.टेक पूरा करने के लिए दिल्ली चली गईं. प्रतिभा ने 2014 में अपना बी.टेक पूरा किया और तुरंत एक अच्छी सैलरी वाली टेलीकॉम कंपनी में नौकरी मिल गई. वहां दो साल काम करने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ने और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू करने का फैसला किया.


2016 में नौकरी छोड़ने के बाद प्रतिभा ने दिल्ली में घर से दूर रहकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया. प्रतिभा अपने पहले प्रयास में असफल रही और दूसरे प्रयास में उसने 489वीं रैंक हासिल की और आईआरएस के लिए चुनी गईं लेकिन उसका सपना आईएएस बनने का था.


भले ही वह एक आईआरएस अधिकारी बन गई थीं, लेकिन उनका टारगेट IAS था. वह इसकी तैयारी करती रहीं और 2019 में अपने तीसरे प्रयास में, वह यूपीएससी परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल करके आईएएस अधिकारी बनने में सफल रहीं. 


हालांकि प्रतिभा को कई हेल्थ समस्याएं थीं, लेकिन वह उनसे परेशान नहीं थीं. 2018 में उसे डेंगू हुआ और 2019 में उसे टाइफाइड हो गया. इस सब के चलते उनकी पढ़ाई और इंटरव्यू पर ध्यान देना मुश्किल हो रहा था. कोरोनावायरस के कारण उनका इंटरव्यू दो महीने के लिए स्थगित होने के बाद उन्होंने पावर योग और मेडिटेशन किया और अपने खाने का विशेष ध्यान रखा और बेहतर हो गईं.


प्रतिभा की मां उषा वर्मा प्राइमरी स्कूल में टीचर हैं, जबकि उनके पिता सुदंश वर्मा हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाते हैं. प्रतिभा के बड़े भाई प्राइवेट नौकरी करते हैं और उनके छोटे भाई ने बी.टेक किया है. वहीं, उनकी बहन डॉक्टर हैं.


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