How IAS, IPS Post Alloted: यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) यानी सिविल सर्विस एग्जाम के बारे में आपने खूब सुना होगा. हर साल इसकी परीक्षा होती है और इसे पास करके आईएएस, आईपीएस, आईआरएस व कई अन्य अफसरों पर सफल उम्मीदवारों की तैनाती होती है. लेकिन एक बड़ा सवाल जिसका जवाब हर कोई नहीं जानता, वो ये है कि परीक्षा तो सारे कैंडिडेट्स एक ही पास करते हैं लेकिन कौन आईएएस बनेगा और कौन आईपीएस या कुछ और, इसका निर्धारण बाद में कैसे होता है. आज हम आपको विस्तार से बताएंगे इस सवाल का जवाब.


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ये होती है चयन की प्रक्रिया


आपको बता दें कि यूपीएससी पास करने के बाद IAS, IPS या कोई अन्य पोस्ट देने के लिए एक तय प्रक्रिया का पालन किया जाता है. सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत प्रारंभिक परीक्षा से होती है. इसमें पास होने वाले कैंडिडेट्स मेन एग्जाम यानी मुख्य परीक्षा में शामिल होते हैं. जो परीक्षार्थी इसे भी पास कर लेते हैं, उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. इसके बाद तीनों राउंड के अंक को मिलाकर मेरिट तय होती है और उसी हिसाब से रैंकिंग आती है.


दो कैटेगरी में होती है नियुक्तियां


रैंकिंग पोस्ट निर्धारण का सबसे बड़ा क्राइटेरिया होता है. रैंकिंग के आधार पर यूपीएससी से जुड़ी 24 सेवाओं में उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है. यहां यह समझना भी जरूरी है कि यूपीएससी में सेवाओं की दो कैटेगरी हैं. पहली कैटेगरी है अखिल भारतीय सेवा, इसमें IAS, IPS आदि पद आते हैं. वहीं दूसरी कैटेगरी है केंद्रीय सेवाओं की. इसमें भारतीय विदेश सेवा (IFS), IIS, IRPS, ICAC आदि आते हैं. इसी में सशस्त्र सेना मुख्यालय सिविल सेवा भी शामिल है.


रैंकिंग और प्राथमिकता के आधार पर निर्धारण


यूपीएससी में टॉप की रैंकिंग वालों को आईएएस मिलता है, जबकि इसके बाद वालों को आईपीएस और फिर आईआरएस. इसी तरह आगे नियुक्तियां होती रहती हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि जिन कैंडिडेट्स की टॉप रैंकिंग है वो आईएएस ही बनें. ऐसे उम्मीदवारों के पास अपनी पसंद की नियुक्ति चुनने का भी मौका होता है. खाली सीटों के आधार पर उक्त पोस्ट पर जरूरत के हिसाब से नियुक्तियां होती हैं. मान लीजिए रिजल्ट में तीसरे नंबर पर रहने वाला आईपीएस बनना चाहे तो उसे प्राथमिकता दी जाएगी. अगर सीट खाली है तो आईएएस तक की रैंक में आने वाले भी आईपीएस पा सकते हैं. हालांकि पीछे की रैंकिंग वाले आईएएस नहीं बन सकते. 


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