Do You Know: न्यायालय द्वारा अपराधी को जब सजा सुनाई जाती है तो पुलिस उसे गिरफ्तार करके जेल भेज देती है. यहां तक तो फिल्मों में सभी ने देखा है परंतु कभी-कभी हम अखबारों में या टीवी चैनल पर पढ़ते-सुनते हैं कि कोर्ट ने अपराधी को सश्रम कारावास, कठोर कारावास, सामान्य कारावास की सजा सुनाई. सवाल यह है कि क्या कारावास की भी कैटेगरी होती हैं. आज हम सबसे पहले कठोर कारावास के बारे में बात करते हैं.


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कठोर कारावास में कैदी से क्या काम करवाते हैं
कठोर कारावास के शब्द से ऐसा लगता है जैसे कैद किए गए अपराधी को बेड़ियों में बांधकर नंगे पैर कटीले रास्तों पर चलाते हुए भारी पत्थर या लोहा उठवाया जाएगा. यह सब कुछ फिल्मों में होता है, भारत की जेलों में नहीं होता. जिन कैदियों से काम करवाया जाता है उन्हें सश्रम कारावास दिया जाता है. कठोर कारावास का मतलब कठोर काम नहीं बल्कि एक निर्धारित समय तक के लिए उसे बिल्कुल एकांत में छोड़ देना है.


यहां एकान्त से अर्थ होता है - अपराधी को ऐसी बाहरी दुनिया में रखा जाना जहां न कोई कैदी, न कोई सिपाही, न उससे कोई काम करवाना उसके आस पास कोई भी ऐसी वस्तु भी नही होती है जिससे वह अपने मन को बहला ले. सिर्फ उसे सुबह शाम भोजन दिया जाता है बाकि समय वह सिर्फ एकान्त (अलग) ही रहेगा.


भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 73 की परिभाषा
न्यायालय द्वारा किसी अपराधी को कठोर कारावास से दण्डित किया जाता है. तब ऐसे में आरोपी को साधारण कारावास के साथ निम्न परिसीमा के लिए एकान्त के कारावास में भी रहना होगा तभी अपराधी की कारावास कठोर कारावास होगी जानिए.
1. अगर अपराधी को 6 माह की कठोर कारावास की सजा दी गई है तब उसे एक माह तक एकान्त कारावास में रखा जाएगा इससे अधिक नहीं.
2. अगर किसी अपराधी को एक साल के कठोर कारावास की सजा दी गई हैं तब उसे दो महीना से ज्यादा एकान्त कारावास में नहीं रखा जाएगा.
3. अगर अपराधी को एक साल से ज्यादा का कठोर कारावास दिया गया है तब उसे एकान्त में 3 माह से ज्यादा नहीं रखा जाएगा.
उपर्युक्त एकान्त कारावास होने के बाद बाकी शेष कारावास साधारण कारावास में बिताना होगा न कि एकान्त कारावास होने के बाद अपराधी को छोड़ दिया जाएगा.


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