Zayed Khan Bollywood Debut: अंडमान के रहने वाले जायद खान, बहुत संघर्षों के बाद बॉलीवुड में एक गायक के रूप में अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं. जायद को यह सुनहरा अवसर निर्माता प्रेम राज जोशी के माध्यम से मिला है, जिन्होंने उन्हें इंस्टाग्राम पर एक इंडी म्यूजिक एल्बम में देखा था. इस एल्बम को खान ने खुद बनाया था. 


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नौ साल की उम्र में गाना शुरू किया


इस विषय पर टिप्पणी करते हुए खान ने कहा, 'हमारे पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्हें अंडमान सेलुलर जेल में रखा गया था. जब मैं केवल चार साल का था तब मेरे पिताजी का निधन हो गया. मेरे पिता के शीघ्र निधन के कारण, मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. मेरे पापा को भी गाने का शौक था. शायद इसलिए मुझे गाना पसंद है, शायद यह मेरे जीन्स में है. मैंने 9 साल की उम्र से स्कूल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर गाना शुरू कर दिया था. समय के साथ, मैंने संगीत में अपना करियर बनाने के बारे में सोचा. मैंने 2 साल से अधिक समय तक हैदराबाद से गायन का प्रशिक्षण लिया, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण मुझे इसे बीच में छोड़ना पड़ा. मैं अपनी मां की देखभाल करने और उनकी मदद करने के लिए द्वीप पर लौट आया. समय के साथ, मैंने वहां एक संगीत बैंड शुरू किया और स्थानीय प्रदर्शनों से कुछ पैसे कमाना शुरू कर दिया.'


मां को दिया श्रेय


जायद ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को दिया जिन्होंने उन पर से कभी उम्मीद नहीं छोड़ी और साथ ही अपने करीबी दोस्तों को भी जिन्होंने हर मुश्किल के समय में उनकी मदद की. बातचीत जारी रखते हुए, उन्होंने कहा, 'समय के साथ, मैं अपनी किस्मत आजमाने के लिए कई बार मुंबई आया; लेकिन बात नहीं बनी और न ही मुझे कोई वित्तीय सहायता मिली. बैंड के प्रदर्शन से जो कुछ भी मैं कमा सकता था, मैंने उसका एक हिस्सा सहेजना शुरू कर दिया और अपना एक एल्बम बनाया. मैंने इसके लिए गाने भी लिखे. एल्बम को अच्छी प्रतिक्रिया मिली और मुझे प्रेम सर से इंस्टाग्राम पर एक संदेश मिला, जो चाहते थे कि मैं 18 वीं शताब्दी की मराठा रानी अहियाबाई होल्कर पर बनने वाली उनकी फिल्म के लिए एक गाना गाऊं. उन्होंने मुझे मुंबई बुलाया और मैंने ट्रैक रिकॉर्ड किया. उन्हें यह पसंद आया और अब यह फिल्म का हिस्सा बनने जा रहा है. यह फिल्म का टाइटल ट्रैक है. मैं यह जानकर उत्साहित हो गया कि फिल्म में मुख्य भूमिका के लिए प्रियंका चोपड़ा जोनास से चर्चा चल रही है.'


अहिल्याबाई होल्कर के बारे में जान रहे जायद


जायद ने भारतीय महिला शासकों और अहिल्याबाई होल्कर के बारे में विस्तार से अध्यन किया. उसी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, 'रानी इंदौर शहर को नई ऊंचाइयों पर ले गईं, और उनकी छाप आज भी शहर में दिखाई देती है. हमारे पूरे देश को उन पर गर्व होना चाहिए. युवाओं को उनके बारे में पता होना चाहिए. मुझे खुशी है कि यह एक बहुभाषी फिल्म है और इसे हिंदी, मराठी, तमिल और तेलुगु में बनाया जाएगा.'


अंडमान का नाम करना चाहते हैं रोशन


जायद ने आगे बात करते हुए कहा 'मुझे लगता है कि इस फिल्म ने मुझे चुना है, निर्माता ने मुझसे संपर्क किया और सबकुछ तुरंत काम कर गया. फिल्म का जो गीत मैंने गाया है, वह चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इसमें चरित्र की विभिन्न भावनाओं को शामिल करना था, लेकिन पूरी टीम के योगदान से हम बहुत अच्छा गाना बना पाए. मेरे लिए संगीत एक आराधना की तरह हैं जो मुक्ति का मार्ग प्रशश्त करता है. मैं अपने गाए हुए हर गीत के साथ और अधिक मेहनत करने का वादा करता हूं. मैं ईश्वर से ईमानदारी से प्रार्थना करता हूं कि मुझे सही दिशा और मार्गदर्शन मिले. मैं अंडमान और निकोबार के लोगों के लिए एक अच्छा नाम लाना चाहता हूं ताकि द्वीप के अधिक से अधिक युवाओं को मुख्य भूमि पर अवसर मिले. मैं चाहता हूं कि द्वीप और मुख्य भूमि के बीच की खाई को भरा जाए, यह अंतर लंबे समय से उखड़े हुए समुदायों की अनसुनी आवाजों के प्रति सामाजिक और राजनीतिक उदासीनता के लिए जिम्मेदार रहा है.'


सूचना- ऊपर उल्लिखित लेख इम्पैक्ट फीचर है, यह लेख एक प्रायोजित प्रकाशन है और इसमें आईडीपीएल की पत्रकारिता/संपादकीय भागीदारी नहीं है.k