Jammu Kashmir Chunav: जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा के आखिरी चरण की 40 सीटों के लिए जो चुनाव आज हो रहे हैं उनमें से जम्‍मू डिवीजन की 24 और उत्‍तरी कश्‍मीर की 16 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इस चरण में सबसे अधिक प्रतिष्‍ठा बीजेपी की लगी हुई है क्‍योंकि 10 साल पहले जब यहां चुनाव हुए थे तो इन 40 में से बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 18 सीटें जीत ली थीं. महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने सात जीतें, फारूक अब्‍दुल्‍ला की 5, कांग्रेस-सज्‍जाद लोन की पीपुल्‍स कांग्रेस-निर्दलीयों ने क्रमश: दो-दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. कुल मिलाकर बीजेपी ने उस चुनाव में जम्‍मू संभाग की 18 सीटों समेत कुल मिलाकर 25 जीतें जीती थीं. नतीजतन उसने चुनाव के बाद पीडीपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी. बीजेपी का वोट शेयर 32.86% था जोकि विरोधियों से दोगुना था. उसके बाद से बीजेपी का दबदबा इस अंचल में बना हुआ है.


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यदि इन 40 सीटों के लिहाज से देखें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में इनमें से 21 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी ने बढ़त बनाई थी. दूसरे स्‍थान पर 8 सीटों के साथ नेशनल कांफ्रेंस का स्‍थान था. निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर इंजीनियर राशिद बारामूला लोकसभा सीट से प्रत्‍याशी थे और 5 विधानसभा सीटों पर उनको बढ़त थी. 


बीजेपी का दबदबा
5 अगस्‍त, 2019 को आर्टिकल 370 हटाया गया और 2022 में जम्‍मू-कश्‍मीर में परिसीमन हुआ. उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी इस चरण की 40 में से 22 विधानसभा सीटों पर आगे रही. बारामूला से इंजीनियर राशिद चुनाव जीते और वह 13 विधानसभा सीटों पर आगे रहे. राशिद के भाई शेख खुर्शीद इस बार बारामूला की लंगेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. ये सीट कभी इंजीनियर राशिद का गढ़ मानी जाती थी. 


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साजिद लोन की पीपुल्‍स कांफ्रेंस ने 2014 में दो सीटों पर कामयाबी हासिल की थी. इस बार भी वो हंदवाड़ा और कुपवाड़ा से लड़ रहे हैं. सोपोर सीट इस मायने में खास है क्‍योंकि एक तो ये सीट हमेशा से पोलिंग बॉयकाट के लिए जानी जाती थी लेकिन इस बार यहां से 20 प्रत्‍याशी मैदान में हैं. द इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से एक प्रत्‍याशी एयाज अहमज गुरु हैं जोकि अफजल गुरु के भाई हैं. अफजल को 2001 में संसद पर हुए हमले के मामले में फांसी हुई थी. 


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एक जमाने में जम्‍मू डिवीजन में ही पैंथर्स पार्टी के नेता प्रोफेसर भीम सिंह चर्चित मशहूर नेता हुआ करते थे. उनके निधन के बाद छेनानी सीट से उनके ही खानदान के हर्शदेव सिंह और बलवंत सिंह मनकोटिया एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.


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