Congress: नहीं खत्म हो रहा कांग्रेस का दुख, महाराष्ट्र में सबसे बड़ी हार, झारखंड में इसलिए डूबी लुटिया
Congress Electoral Challenges 2025: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा, जो महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के अन्य सहयोगियों से सबसे ज्यादा था. इसके बावजूद पार्टी केवल 16 सीटें जीत पाई.
Congress Electoral Challenges 2025: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा, जो महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के अन्य सहयोगियों से सबसे ज्यादा था. इसके बावजूद पार्टी केवल 16 सीटें जीत पाई. जो कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी हार मानी जा रही है. पार्टी का स्ट्राइक रेट महज 16% रहा. कांग्रेस के इस प्रदर्शन से एमवीए गठबंधन के भीतर उसकी पकड़ कमजोर होना तय है.
एमवीए में घटती ताकत
कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) का गठबंधन महाविकास अघाड़ी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के सामने टिक नहीं पाया. कांग्रेस का वोट शेयर 12.42% रहा, जो गठबंधन में सबसे ज्यादा था. लेकिन यह एनडीए के खिलाफ प्रभावी साबित नहीं हुआ. एनडीए ने 132 सीटें जीतकर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है.
झारखंड में जूनियर पार्टनर की भूमिका
झारखंड में कांग्रेस झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई वाले गठबंधन की जूनियर पार्टनर बनकर रह गई. जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस केवल 16 सीटें हासिल कर पाई. जेएमएम का वोट शेयर 23.44% रहा, जबकि कांग्रेस का केवल 15.56%.
प्रमुख नेताओं की हार
महाराष्ट्र में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए. जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, बलासाहेब थोराट और धीरज देशमुख शामिल हैं. एनसीपी (शरद पवार गुट) के रोहित पवार और युगेंद्र पवार जैसे बड़े नाम भी हार का सामना कर चुके हैं.
झारखंड में जेएमएम का बढ़ता कद
झारखंड में जेएमएम ने 5% वोट शेयर का इजाफा करते हुए अपनी पकड़ मजबूत की. जबकि कांग्रेस मामूली 2% बढ़ोतरी ही कर पाई. इससे स्पष्ट है कि जेएमएम का प्रभाव राज्य में कांग्रेस से कहीं अधिक है. कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं. उनकी "जाति जनगणना" और "अडानी-अंबानी" पर केंद्रित राजनीति महाराष्ट्र और झारखंड में मतदाताओं को प्रभावित करने में असफल रही.
अन्य राज्यों से उम्मीदें भी कम
कर्नाटक और केरल में उपचुनावों में कांग्रेस ने कुछ जीत दर्ज की, लेकिन वे राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के कमजोर प्रदर्शन की भरपाई नहीं कर सके. पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति कमजोर बनी हुई है. महाराष्ट्र और झारखंड में हार ने कांग्रेस की नैतिक और राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर दिया है. विपक्षी गठबंधन 'INDIA' में भी उसकी भूमिका घटती नजर आ रही है. 2025 के चुनावी चक्र में कांग्रेस को अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने होंगे.
(एजेंसी इनपुट के साथ)