Bhupendra Singh Hooda: हरियाणा का नया 'चौधरी' कौन बनेगा? इसका फैसला 8 अक्टूबर को आने वाले जनादेश पर निर्भर करेगा. कांग्रेस को यकीन है कि इस बार एंटी इनकंबेंसी का फायदा उसे मिलेगा. कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला के साथ-साथ दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी इस रेस में आगे हैं. रेस ऐसी लगी है कि सभी खुलेआम खुद को बेहतर मुख्यमंत्री साबित करने पर तुले हैं. पार्टी में मची ये अंतर्कलह पिछले काफी समय से रह-रहकर बाहर आती रही है. राज्य के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीन-तीन दावेदारों का होना पार्टी के लिए अच्छा ही बताया है. 


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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिलने की उम्मीद जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी आलाकमान यानि 'ऊपरवाले' का जो भी फैसला होगा, वह उन्हें मंजूर होगा. हुड्डा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिये इंटरव्यू में कहा कि पार्टी में कोई अंदरूनी कलह नहीं है. मुख्यमंत्री पद के लिए कई दावेदार होने से कांग्रेस को मजबूती ही मिलेगी. 


मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से जुड़े सवाल पर हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री चयन की एक स्थापित प्रक्रिया है और पार्टी आलाकमान जो भी फैसला करेगा, उन्हें मंजूर होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की एक पद्धति है. विधायक चुने जाएंगे. पर्यवेक्षक आएंगे, विधायकों का मत लेंगे और फिर आलाकमान फैसला करेगा. वे जो भी फैसला करेंगे, मुझे स्वीकार होगा. 


इससे एक दिन पहले सैलजा ने भी कहा था कि मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस आलाकमान का फैसला उन्हें स्वीकार होगा. हुड्डा ने सैलजा और रणदीप सुरजेवाला की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अच्छी बात है. यदि इच्छा ही नहीं रखेंगे तो राजनीति शिथिल पड़ जाएगी. जितने ज्यादा दावेदार होंगे, कांग्रेस को उतनी ही अधिक मजबूती मिलेगी. 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लोकसभा का चुनाव और विधानसभा का चुनाव अलग होता है. 2019 के चुनाव में भाजपा 79 पर आगे थे, कांग्रेस 10 सीटों पर आगे थी, एक पर जजपा को बढ़त मिली थी. इसके कुछ महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा 40 सीटों पर पहुंच गई और कांग्रेस 10 से 31 पर पहुंच गई. इस लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर घटा है और कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है. 


हुड्डा का कहना था कि पिछली बार के लोकसभा चुनाव में हमारा वोट प्रतिशत 28 था जो इस बार बढ़कर 48 प्रतिशत हुआ है. भाजपा का वोट प्रतिशत 12 प्रतिशत घटा है. इससे स्थिति के बारे में साफ संकेत मिलता है. उन्होंने कांग्रेस पर दलित विरोधी होने के भाजपा के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि हरियाणा में सत्तारूढ़ पार्टी ने आरक्षण खत्म करने की नीति अपनाई है. हुड्डा ने कहा कि दलित को आरक्षण संविधान ने दिया है. मुझे इस बात का गर्व है कि बाबासाहेब आंबेडकर के साथ संविधान पर मेरे पिता (चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा) के हस्ताक्षर थे. कोई कितनी ताकत लगा दे, हम संविधान बदलने नहीं देंगे. 


उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने धोखा दिया है, आरक्षण खत्म करने की नीति बनाई है. हरियाणा में कौशल रोजगार निगम है. उसमें न पक्की नौकरी है, न तो मेरिट है और न आरक्षण है. आरक्षण नहीं देना पड़े, उसका इन्होंने नया तरीका ढूंढ लिया. ओबीसी और एससी वर्गों के बच्चों की उम्र चली गई, वो कहां जायेंगे. हरियाणा में भाजपा आरक्षण विरोधी है. प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस ने जनता से जो वादे किए हैं, उन्हें सरकार बनने के बाद पूरा करेगी. 


1967 में बना किलोई विधानसभा क्षेत्र 2009 में हुए परिसीमन के बाद गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा क्षेत्र में बदल गया. परिसीमन के बाद हसनगढ़ विधानसभा सीट को किलोई सीट में मिला दिया गया था. इस सीट पर अभी तक तीन बार 2009, 2014 और 2019 में चुनाव हो चुके हैं. तीनों ही बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है. हरियाणा में 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए पांच अक्टूबर को मतदान होगा जबकि नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. 


अपनी पारंपरिक विधानसभा सीट गढ़ी सांपला-किलोई से फिर से मैदान में उतरे हुड्डा ने दावा किया कि हरियाणा में अबकी बार, कांग्रेस की सरकार का माहौल बन गया है. भूपेंद्र हुड्डा मार्च 2005 से अक्टूबर 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने हरियाणा के दिग्गज जाट नेता चौधरी देवीलाल को लगातार तीन लोकसभा चुनाव 1991, 1996 और 1998 में शिकस्त दी थी. कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा की नाराजगी की खबरों पर हुड्डा ने कहा कि यह मीडिया द्वारा पैदा किया हुआ है, यह कोई प्रकरण नहीं है. पहले भी सब कुछ ठीक था और आज भी है. 


राज्य में विधानसभा की कुल 90 सीटों के लिए वोटिंग 5 अक्टूबर को होगी. राज्य में 10 साल से भाजपा की सरकार है. 2014 में मोदी लहर में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी, लेकिन पिछली बार दुष्यंत चौटाला की जेजेपी की मदद से सरकार बनानी पड़ी. 


(पीटीआई इनपुट के साथ)


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