AI Zeenia Jharkhand Exit Poll Results: झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए बुधवार को वोट डाले गए. इससे पहले 13 नवंबर को पहले चरण का मतदान हुआ था. दूसरे और आखिरी चरण के बाद एग्जिट पोल का दौर शुरू हो गया है. इसी कड़ी में Zee News की तरफ से पेश किए गए AI एग्जिट पोल में बताया गया कि झारखंड के अंदर दोनों ही गठबंधन एक दूसरे को जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं. AI एंकर Zeenia ने एग्जिट पोल पेश करने के दौरान कई और अहम सवालों के जवाब दिए. जैसे राज्य के लोगों के लिए कौन सा नेता मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद है और लैंड जिहाद, बंटेगे-कटेंगे जैसे मुद्दों का राज्य की जनता पर कितना असर पड़ा.


मुख्यमंत्री की पहली पसंद


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AI एंकर Zeenia से जब झारखंड के लोगों की मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद के बारे में पूछा गया तो जवाब तलाशते वक्त बहुत चौंकाने वाले जवाब सामने आए. मौजूदा सीएम हेमंत सोरेन के प्रति लोगों का ज्यादा सेंटीमेंट है, वो झारखंड के लोगों को पहली पसंद हैं. दूसरे नंबर पर बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पसंद है. वहीं तीसरे नंबर पर चंपाई सोरेन का नाम है.


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झारखंड में 'बटेंगे तो कटेंगे' का कितना असर?


हमने झारखंड में वोटरों के सेंटीमेंट को पढ़ा तो देखा कि 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे पर लोगों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है. इसपर 25 फीसदी वोटर ये मानते हैं कि इस नारे का असर चुनाव में हुआ है. जबकि 55 फीसदी को लगता है कि 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे का कोई असर नहीं हुआ. ये चुनावी मुद्दा नहीं बन सका. वहीं 20 परसेंट ऐसे भी हैं जिन्होंने इसपर कोई स्पष्ट राय नहीं दी है.


क्या 'लैंड लिहाद' का चुनाव में असर रहा ?


झारखंड के चुनाव में बीजेपी ने लैंड जिहाद को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था. हमने अपने साइंटिफिक एनालिसिस में ये देखा कि 40 परसेंट वोटरों ने ये माना है कि हां लैंड जिहाद चुनावी मुद्दा था और इसका असर हुआ है. जबकि 50 फीसदी ये मानते हैं कि कोई असर नहीं हुआ. वहीं 10 फीसदी ने कोई स्पष्ट राय नहीं दी है.


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क्या कल्पना सोरेन के प्रचार से JMM को फायदा?


Zeenia ने बताया कि हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने इसबार चुनाव में जोरदार प्रचार किया. उनको लेकर इसबार वोटरों में क्रेज भी पाया गया. हमने इसपर साइंटिफिक एनालिसिस किया कि क्या कल्पना सोरेन के प्रचार से JMM को फायदा हुआ? इस पर 40 फीसदी लोगों का सेंटीमेट ये था कि उनके कैंपेन का असर हुआ. 50 फीसदी ने माना कि कल्पना सोरेन के कैंपेन का असर नहीं हुआ . जबकि 10 फीसद ने राय नहीं दी.