Lok Sabha Chunav Delhi News: राजनीति में एक कहावत खूब कही जाती है- जेल जाकर ही असली नेता तैयार होता है. यह एक तरह के संघर्ष को दिखाता है. हाल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी नहीं दिया है और ईडी की हिरासत में ही सरकार चला रहे हैं. फैसले भी ले रहे हैं. दरअसल, आम आदमी पार्टी का पूरा चुनावी कैंपेन केजरीवाल के ही इर्द-गिर्द है इसलिए सीएम खुद नहीं चाहते कि वह सीन से अलग हों. इससे लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़े नुकसान का जोखिम है. हालांकि सवाल यह है कि क्या सलाखों के पीछे से वह बीजेपी को टक्कर दे पाएंगे? इतिहास में कुछ नेता ऐसे हुए हैं जो जेल जाकर और मजबूत हुए. जॉर्ज फर्नांडिस की हथकड़ी वाली तस्वीर तो आपको याद होगी. शायद आम आदमी पार्टी कुछ वैसे ही करिश्मे की उम्मीद कर रही होगी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वो दौर था आपातकाल का


इमर्जेंसी के दौरान जॉर्ज फर्नांडिस को भी जेल में डाल दिया गया था. 1977 का लोकसभा चुनाव उन्होंने जेल से ही लड़ा था. उस समय उनके हाथ में लगी हथकड़ी वाली तस्वीर खूब चर्चा में रही थी. इसे चुनावी पोस्टर बनाया गया. यह तस्वीर आपातकाल के विरोध का प्रतीक बनी थी. मुजफ्फरपुर सीट से वह तीन लाख से अधिक वोटों से जीते थे. 


तब कांग्रेस के लिए 'राम' आए, इलाहाबाद में अरुण गोविल के प्रचार का क्यों हुआ था विरोध?


उस दौर में सुषमा स्वराज ने नारा दिया था- जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा. जॉर्ज के समर्थन में तब सुषमा स्वराज खुद मुजफ्फरपुर गई थीं. उन्होंने पूरे इलाके में हथकड़ियों में जकड़ी जॉर्ज की तस्वीर लेकर चुनाव प्रचार किया था. वह 10 दिन तक मुजफ्फरपुर में डटी रहीं. बाद में जॉर्ज फर्नांडिस ने रक्षा समेत भारत के कई अहम मंत्रालय संभाले. 


जब आडवाणी हुए गिरफ्तार


इसी तरह दूसरा बड़ा उदाहरण आडवाणी का है. सोमनाथ से रथ लेकर निकले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को अक्टूबर 1990 में एक दिन समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया. लालू यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार करवाया था. हालांकि उन्हें दुमका के गेस्ट हाउस में रखा गया. इसके बाद आडवाणी का सियासी कद और राम मंदिर आंदोलन दोनों ने जोर पकड़ लिया. आगे जो हुआ इतिहास में दर्ज है. राम मंदिर की लहर में भाजपा को जबर्दस्त सियासी फायदा हुआ. आगे चलकर आडवाणी गृह मंत्री और डिप्टी पीएम बने. 


जगन गए जेल और सीएम बने


दक्षिण भारत में कई उदाहरण मौजूद हैं. हाल के वर्षों में जगन का केस प्रासंगिक है. आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी कुछ साल पहले जेल गए थे. 16 महीने जेल में रहने के बाद बाहर आए तो उनकी राजनीति चल पड़ी. 2014 के विधानसभा चुनावों में 175 में से 67 सीटें मिलीं. सदन में विपक्ष के नेता के तौर पर उन्होंने लंबी पदयात्रा की. 2019 के चुनाव में वाईएसआर सीपी ने एकतरफा जीत हासिल की और जगन सीएम बन गए.  


पढ़ें: क्या वरुण गांधी निर्दलीय लड़ना चाहते हैं?


दरअसल, केजरीवाल के इस्तीफा न देने के पीछे आम आदमी पार्टी की सोची समझी रणनीति है. इसकी तैयारी पार्टी ने काफी पहले कर ली थी. भाजपा के नेता प्रोटेस्ट कर रहे हैं लेकिन AAP कॉन्फिडेंट है. आम आदमी पार्टी ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का हवाला देते हुए कहा है कि दो साल या उससे ज्यादा समय के लिए जेल की सजा पाए नेता को 6 साल के लिए अयोग्य माना जाता है. पार्टी के नेताओं का मानना है कि चूंकि केजरीवाल को दोषी नहीं ठहराया गया है, न ही वह तकनीकी रूप से अभी तक मुकदमे में हैं. ऐसे में पार्टी प्लान-बी के बारे में सोच ही नहीं रही है. फिलहाल पूरा जोर इस मामले को अपने फेवर में करते हुए ज्यादा से ज्यादा जनता की सहानुभूति हासिल करने पर है.