Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव के बीच तमाम सवालों और अटकलों के बीच आम आदमी पार्टी ने साफ कह दिया है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. आबकारी नीति मामले में दिल्ली की एक अदालत ने केजरीवाल को 15 अप्रैल तक जेल भेजा है. इसके बाद चर्चा होने लगी थी कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? AAP के नेता दावा कर रहे हैं कि केजरीवाल ही सरकार का नेतृत्व करते रहेंगे, चाहे उन्हें कितना भी समय जेल में रहना पड़े. सूत्रों की ओर से बताया गया है कि सीएम की पत्नी सुनीता केजरीवाल आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. ऐसे में चाय की दुकानों से लेकर टीवी स्टूडियो तक इस बात की चर्चा है कि तिहाड़ पहुंचने के बाद भी आखिर केजरीवाल इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे हैं? क्या सीएम का कामकाज कोई जेल में रहते हुए कर पाएगा? इसका जवाब कभी केजरीवाल के साथी रहे वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने दिया है. 


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...ताकि केंद्र करे बर्खास्त


एक टीवी डिबेट में आशुतोष ने कहा कि यह केजरीवाल की रणनीति है, वह ऐसी भूमिका बना रहे हैं जिसमें केंद्र की सरकार उनकी सरकार को बर्खास्त करे. इसके बाद जनता के बीच आम आदमी पार्टी के लोग जाएं और कहें कि देखिए हम आपकी सरकार के लिए काम कर रहे थे, आपके लिए काम कर रहे थे और इस वजह से हमको जेल में डाला गया फिर हमारी सरकार को बर्खास्त किया गया. 


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जानकारी के लिए बता दें कि इस समय तिहाड़ में दिल्ली के सीएम केजरीवाल के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येंद्र जैन बंद हैं. केजरीवाल को जेल नंबर 2, मनीष को 1, संजय को 5 और जैन को जेल नंबर 7 में रखा गया है. 


जेल में सरकारी फाइल जाएगी क्या?


आशुतोष ने आगे कहा कि इस पॉलिटिकल बैटल में संविधान का माखौल उड़ रहा है. पिछले 10 दिन से वह एक तरह से बंद हैं. अब तिहाड़ भी चले गए. दुनिया में कहीं ऐसा नहीं होता. जेल मैन्युअल के हिसाब से कैदी को रखा जाता है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वह कैबिनेट की मीटिंग कर सकते हैं? क्या वह सरकारी फाइल मंगा सकते हैं? सरकारी फाइल बिना जेल अधिकारी के देखे बाहर जा सकती है क्या? 


उन मूल्यों का क्या हुआ?


वरिष्ठ पत्रकार ने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी का मूल्यांकन भाजपा और कांग्रेस से नहीं होगा. उसका मूल्यांकन उन मूल्यों से होगा जिन मूल्यों की बात आपने आंदोलन शुरू होने से पहले की थी, आंदोलन शुरू होने के बाद और पार्टी बनाने के बाद की थी. उन्होंने कहा कि एक जमाना ऐसा था जब किसी नेता के ऊपर आरोप लगते थे तो वह इस्तीफा देता था. उसके बाद स्थिति ऐसी हुई कि आरोप लगने के बाद जब चार्जशीट दाखिल होगी तब इस्तीफा होगा. बाद में हुआ कि जब चार्ज फ्रेम होंगे तब इस्तीफा देंगे. अब स्थिति यहां तक पहुंच गई कि जब सजा होगी तब इस्तीफा देंगे. 


उन्होंने कहा कि केजरीवाल को मौजूदा हालात में इस्तीफा देना चाहिए. इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि केंद्र सरकार भी उतना ही मजाक कर रही है. केंद्र को मालूम है कि जेल से सरकार नहीं चल सकती लेकिन वे जनता में मैसेज नहीं देना चाहते हैं कि हमने उनकी सरकार बर्खास्त की.


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उधर, भाजपा नेता बांसुरी स्वराज ने AAP से सवाल किया है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल अब आधिकारिक तौर पर उनका पद संभाल रही हैं.


चुनाव तक टेंशन फ्री हैं केजरीवाल?


विशेषज्ञों का कहना है कि केजरीवाल की अनुपस्थिति से दिल्ली में शासन पर तुरंत प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद आदर्श आचार संहिता हटने पर चुनौतियां सामने आ सकती हैं. दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव पी. के. त्रिपाठी ने कहा कि मुख्यमंत्री नवगठित राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के प्रमुख हैं, जो शहर की सरकार में नौकरशाहों के ट्रांसफर और तैनाती से संबंधित मामले देखते हैं और वह मंत्रिमंडल की बैठकों की अध्यक्षता भी करते हैं. उन्होंने कहा, ‘हालांकि कानून में कोई समस्या नहीं है, लेकिन जेल नियमावली समस्याएं पैदा करेगी क्योंकि वह (केजरीवाल) निर्धारित अवधि के भीतर कुछ लोगों से ही मिल सकते हैं.’ सूत्रों ने बताया है कि चूंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल के पास कोई विभाग नहीं है, इसलिए फिलहाल किसी भी विभाग का कामकाज तुरंत प्रभावित होने की संभावना नहीं है.


खबर है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कैबिनेट मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और गोपाल राय ज्यादा सक्रिय भूमिका में आ सकते हैं. (भाषा के इनपुट के साथ)


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