Atal Bihari Vajpayee Lok Sabha Kissa: उस दिन चुनाव प्रचार के लिए अटल बिहारी वाजपेयी तैयार हो गए थे. चाय की टेबल पर सहयोगी ने दिनभर का प्लान बतला दिया. अटल ने चेयर खिसकाई और उठ खड़े हुए. बाहर निकले तो लॉन में उनसे मिलने वालों की भीड़ जुटी थी. कुछ स्कूली बच्चे भी आए थे. पूर्व पीएम उनके बीच पहुंचे तो बच्चों ने 'हम होंगे कामयाब' गाकर सुनाया. गीत सुनते समय पीएम लोगों को ऑटोग्राफ भी दे रहे थे. गीत पूरा हुआ तो अटल ने हाथ जोड़े और मुस्कुराते हुए हाथ के इशारे से कहा, 'बहुत बढ़िया... चुनाव का चक्कर है, हम जरा जल्दी में हैं.'


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उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के घर पर रोज यही नजारा होता था. किसी ने कुछ कहा तो अटल बोले कि मुझसे कोई बात नहीं हुई. वह जमीन की तरफ देखते हुए आगे बढ़ गए. तभी उन्हें एहसास हुआ कि पीछे एक बुजुर्ग लाठी लेकर खड़े थे. अटल रुके और पीछे लौटे. बोले, 'हां कौन आए हैं. कुछ बात हो तो बताइए.' अटल को लगा कि कुछ काम होगा. 


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टोपी लगाए बुजुर्ग सदरी पहने हुए थे. देशज बोली में कहा, 'बात तो यही है कि तुमको 3-4 साल से नहीं देखा था.' अटल बिहारी वाजपेयी जोर का ठहाका लगाकर हंस पड़े. बुजुर्ग ने आगे कहा कि इच्छा हुई कि चला जाऊं, देख आऊं. अटल चलते जा रहे थे. कैंपेन के लिए पालम एयरपोर्ट से प्लेन पकड़ना था. हालांकि बुजुर्ग को जवाब देने के लिए रुके. उन्होंने कहा कि चलो बहुत बढ़िया. एक महिला अपनी कुछ फरियाद करने लगी तो वह बुजुर्ग पीछे हो गए.


अचानक बुजुर्ग ने अटल को पीछे से छू कर कहा कि क्यों भैया, तो फिर अब जाऊं? अटल जी? वाजपेयी उस समय महिला को जवाब दे रहे थे. हालांकि कदम उनके रुके नहीं थे. 


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बुजुर्ग ने फिर से कहा- जाऊं? अटल रुके और पीछे मुड़े. आत्मीयता के साथ बुजुर्ग से हाथ मिलाया और शुक्रिया अदा कर चुनाव प्रचार के लिए निकल गए. सुबह 9 बजे पालम एयरपोर्ट पर प्लेन में सवार होते समय समर्थक नारे लगा रहे थे. अबकी बारी अटल बिहारी... उस दौर में यह नारा काफी सुना जाता था.


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