Amitabh Bachchan Political Career: 1984 में अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद लोकसभा सीट से यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को रिकॉर्ड वोटों से हराया था लेकिन 1987 में ही राजनीति छोड़ गए. इस दौरान गांधी परिवार से उनके रिश्ते भी खराब हो गए. उस समय एक शख्स ऐसा था जिसने अमिताभ को विदेश मंत्री बनाने की भी सिफारिश की थी. पढ़िए Kissa Kursi Ka.
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Amitabh Bachchan And Rajiv Gandhi Friendship: फिल्मी सितारों का राजनीति से नाता पुराना है. लोकसभा चुनाव 2024 में भी कई स्टार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कंगना रनौत, अरुण गोविल जैसे नए चेहरे राजनीति में चर्चा बटोर रहे हैं. करीब 40 साल पहले बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने भी राजनीति में कदम रखा था लेकिन जल्द ही उनका मोहभंग हो गया. बच्चन के राजीव गांधी से अच्छे संबंध थे. फिर सोनिया गांधी अमिताभ बच्चन से नाराज क्यों हो गईं और क्यों उन्होंने राजीव गांधी के निधन के बाद अमिताभ बच्चन से मिलना स्वीकार नहीं किया?
'वीपी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं' किताब में वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने लिखा है, 'तब अमिताभ बच्चन को लेकर एक बड़ी अफवाह फैली थी कि उनके यहां छापा पड़ा है और उनके भाई अजिताभ के ऊपर वित्त मंत्रालय की कड़ी नज़र है. मैं इस अफवाह की जड़ तक जाना चाहता था. जब वी.पी. सिंह ने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया तब मैंने उनसे जानने की कोशिश की. वीपी सिंह ने जवाब में एक कहानी सुनाई. उन्होंने कहा, 'गुलाब का एक बगीचा था. मैं वहां टहलने गया और एक पौधे के पास देर तक रुक गया. उस पौधे में खिला गुलाब बहुत आकर्षक था. दूर खड़ा एक व्यक्ति चिंतित हो गया क्योंकि उसने उसी गुलाब के पौधे के नीचे कुछ जवाहरात रखे थे. उसने सोचा मुझे पता चल गया है तो उसने उसी शक में मेरे ऊपर हमला कर दिया.' कहानी साफ-साफ मामला बता रही थी.
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भारतीय ने लिखा है कि अमिताभ बच्चन, राजीव गांधी के बहुत करीबी थे. जब भी कोई विदेशी राष्ट्रपति आता था तो राजीव गांधी, अमिताभ बच्चन को अवश्य बुलाते थे और उनका परिचय सांसद के नाते कम, अभिनेता के नाते ज़्यादा करवाते थे. जब भी कोई महत्वपूर्ण अतिथि आता था, जैसे रूस के राष्ट्रपति तो राजीव गांधी, अमिताभ बच्चन से कहते थे, 'मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है, गाने पर डांस करके दिखाओ.' अमिताभ बच्चन को जैसा भी लगता रहा हो पर उन्हें यह करना पड़ता था.
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अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी की दोस्ती में बहुत जल्दी दरार आ गई. इसके पीछे की कहानी भी काफी महत्वपूर्ण है. वीपी सिंह प्रधानमंत्री बन गए और राजीव गांधी पूर्व प्रधानमंत्री हो गए. वह 10 जनपथ में रहने आ गए थे. एक दिन अमिताभ बच्चन, राजीव गांधी से मिलने आए. दस मिनट के बाद जब वह चले गए तो राजीव गांधी ने कहा, 'ही इज़ अ स्नेक'. हिंदी में मतलब 'यह सांप है.' जब राजीव गांधी ने यह कहा तो वहां एक पत्रकार मौजूद थे जो राजीव गांधी के आसपास उन दिनों ज़्यादा देखे जाते थे और बाद में वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में आए और कुछ दिनों बाद कांग्रेस में शामिल हो गए. वह राजीव शुक्ला थे.
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संतोष भारतीय लिखते हैं कि वहां एक दस साल का बच्चा भी था. यह घटना मुझे उसी दस साल के बच्चे ने बताई थी, जो बाद में लोकसभा के सदस्य बने. राजीव गांधी की नाराज़गी के पीछे अमिताभ बच्चन का व्यवहार था.
अमिताभ बच्चन अपने ऊपर मीडिया के हमलों की वजह से और वी.पी. सिंह के संभावित हमलों की आशंका की वजह से संसद से त्यागपत्र देना चाहते थे. राजीव गांधी उन्हें कह रहे थे कि वह (अमिताभ) ऐसा न करें क्योंकि उस स्थिति में वी.पी. सिंह इलाहाबाद से चुनाव लड़ेंगे और वहां से वह बड़े बहुमत से जीतेंगे. राजीव गांधी को पता था कि वी.पी. सिंह मांडा के राजा हैं और पूरे इलाहाबाद के लोग उनसे बहुत प्यार करते हैं.
राजीव गांधी जी के साथ नन्हे राहुल और अमिताभ बच्चन भी साथ नजर आ रहे हैं.#RememberingRajivGandhi pic.twitter.com/dupvX97Lz3
— Manish Tiwari (@livemanish_) May 21, 2023
समझाने या मनाने के क्रम में एक दिन अमिताभ बच्चन अपनी मां तेजी बच्चन के साथ राजीव गांधी से मिलने आए. तेजी बच्चन ने कहा कि अमिताभ इस्तीफा नहीं देंगे बशर्ते आप उन्हें विदेश मंत्री बनाएं. राजीव गांधी, तेजी बच्चन और अमिताभ बच्चन का चेहरा देखते रह गए. वही हुआ, इलाहाबाद उपचुनाव हुआ और वी.पी. सिंह कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शास्त्री के मुकाबले बड़े बहुमत से जीते.