Lok Sabha Election Quiz: 'सियासत में ज़रूरी है रवादारी समझता है, वो रोज़ा तो नहीं रखता पर इफ्तारी समझता है.' मशहूर शायर राहत इंदौरी का ये शेर मौजूदा राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक पर नजर रखने वाली पॉलिटिकल पार्टियों के लिए बहुत मौजूं लगता है. लोकसभा चुनाव 2024 की जारी प्रक्रियाओं के बीच मुस्लिमों के पाक महीने रमजान पड़ने से रोजा और इफ्तार पार्टी सुर्खियों में है.


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यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान सुर्खियों में रोजा, रमजान और इफ्तार पार्टी 


रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कई वर्षों के बाद लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में दावत-ए- इफ्तार दी. विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी कई इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवैसी भी पब्लिकली कई बार रोजा में होने का हवाला देते दिखे. इसके बाद यह सवाल लाजिमी है कि आदर्श आचार संहिता के दौरान इफ्तार पार्टी को लेकर क्या कोई नियम है? 


आइए, इलेक्शन जनरल नॉलेज (Election General Knowledge) में चुनाव आयोग की जानकारियों के मुताबिक आदर्श आचार संहिता, रोजा और इफ्तार पार्टी को लेकर आम तौर पर उठने वाले सवाल का जवाब जानते हैं. इसके साथ ही लोकसभा इलेक्शन क्विज (Lok Sabha Election Quiz) के कुछ सवालों का जवाब भी जानने की कोशिश करते हैं. 


सवाल : क्‍या राजनीतिक कार्यकर्ताओं के निवास स्‍थान पर "इफ्तार पार्टी" या ऐसी ही कोई दूसरी पार्टी आयोजित की जा सकती है, जिसका खर्चा सरकारी कोष से किया जाएगा?


जवाब : नहीं. हालांकि, कोई भी व्‍यक्ति अपनी निजी क्षमता और अपने निजी निवास स्‍थान पर इफ्तार या ऐसी पार्टी का आयोजन करने के लिए स्‍वतंत्र है.


चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान होने वाला है. इस बीच रमजान पड़ने से मुस्लिम लोग रोजा रखते हैं. इसलिए अक्सर इफ्तार पार्टी के आयोजन भी होते रहते हैं. ऐसी इफ्तार पार्टियों में राजनेताओं की भागीदारी पर कोई पाबंदी नहीं है. राजनीतिक नेता इन इफ्तार पार्टियों में शामिल तो हो सकते हैं, लेकिन इस दौरान वह वोट नहीं मांग सकते. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसा करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जा सकता है.


सवाल: क्‍या कोई सरकारी पदाधिकारी किसी मंत्री से उनके निजी दौरे के दौरान उस निर्वाचन क्षेत्र में मिल सकते हैं जहां चुनाव हो रहे हैं?


जवाब :  कोई सरकारी पदाधिकारी जो किसी मंत्री से निर्वाचन क्षेत्र में उनके निजी दौरे के दौरान मिलते हैं, वह संगत सेवा नियमों के अधीन कदाचार के दोषी होंगे. अगर वह लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 की धारा 129(1) में दर्ज पदाधिकारी हैं तो उन्‍हें उस धारा के नियम और शर्तों (सांविधिक उपबंधों) का उल्‍लंघन करने का अतिरिक्‍त दोषी माना जाएगा. इसके मुताबिक पदाधिकारी दंड और विभागीय कार्रवाई के भागी होंगे.


सवाल: क्‍या निर्वाचन कार्य के दौरान मंत्री आधिकारिक वाहन के हकदार होंगे?


जवाब :  मंत्रियों को अपना आधिकारिक वाहन केवल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही मिलेगा. बशर्ते इस प्रकार के सफर को किसी चुनाव प्रचार कार्य या राजनीतिक गतिविधि से न जोड़ा जाए.


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सवाल: क्‍या मंत्री या कोई दूसरा राजनीतिक कार्यकर्ता सायरन सहित बीकन लाइट वाली पायलट कार का प्रयोग कर सकते हैं?


जवाब :  मंत्री या किसी अन्‍य राजनीतिक कार्यकर्ता को निर्वाचन अवधि के दौरान निजी या आधिकारिक दौरे पर किसी पायलट कार या किसी रंग की बीकन लाइट या किसी भी प्रकार के सायरन सहित कार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं होगी. भले ही राज्‍य प्रशासन ने उसे सुरक्षा कवर दिया हो जिसमें ऐसे दौरों पर उसके साथ सशस्‍त्र अंगरक्षकों के मौजूद रहने की जरूरत हो. यह निषेध सरकारी और निजी मालिकाना वाले दोनों प्रकार के वाहनों पर लागू होगा.


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