Adhir Ranjan Choudhary on TMC: कांग्रेस और TMC दोनों इंडी गठबंधन की सदस्य हैं लेकिन पश्चिम बंगाल में दोनों के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है. आलम ये है कि पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी को जनसभाओं में कहना पड़ रहा है कि भले ही बीजेपी को वोट दे देना लेकिन टीएमसी को गलती से भी वोट मत देना. ऐसा नहीं हुआ तो प्रदेश में देश में धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाएगी. 


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'TMC को वोट देने का मतलब है BJP को वोट देना'


अधीर रंजन चौधरी बुधवार को बंगाल की जंगीपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस और वाम गठबंधन के प्रत्याशी मुर्तुजा हुसैन के फेवर में जनसभा कर रहे थे. लोगों को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में कांग्रेस और लेफ्ट का जीतना जरूरी है, अगर ऐसा नहीं होगा तो धर्मनिरपेक्षता खतरे में पड़ जाएगी. 
उन्होंने कहा कि TMC को वोट देने का मतलब है BJP को वोट देना, इसलिए बेहतर होगा कि आप BJP को ही वोट दें. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे मुर्तुजा हुसैन को अपना वोट दें, वे हर हालात में आपके साथ खड़े रहेंगे. 


बहररामपुर से चुनाव लड़ रहे हैं अधीर रंजन चौधरी


अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता हैं. वे बंगाल की बहरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी को वोट देने की अपील वाला उनका बयान जल्द ही वायरल हो गया. इस पर टीएमसी ने पलटवार करते हुए अधीर पर बीजेपी की बी-टीम होने का आरोप लगाया. ऐसी राज्य विरोधी पार्टी के लिए कोई बांग्ला विरोधी ही प्रचार कर सकता है. इस धोखे का 13 मई को बहरामपुर की जनता तीखा जवाब देगी!


अधीर के बयान पर गोल-मोल कर गए जयराम


जब अधीर रंजन चौधरी के बयान पर पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश से पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर कन्नी काट ली. जयराम रमेश ने कहा, अधीर ने यह बयान कब और किस संदर्भ में कहा, यह मेरी जानकारी में नहीं है. टीएमसी और कांग्रेस इंडी गठबंधन का अहम हिस्सा है. हम दोनों का समान उद्देश्य पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सीटों में कमी लाना है और इस बार हम यह करके रहेंगे. 


पश्चिम बंगाल में चल रहा तिकोना संघर्ष


बताते चलें कि इंडी गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद कांग्रेस और टीएमसी पश्चिम बंगाल में अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस जहां वामदलों के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरी है, वहीं टीएमसी अकेले ही चुनाव मैदान में ताल ठोक रही है. वहीं बीजेपी पहले की तरह एकला चलो की रणनीति पर चल रही है. राज्य में लोकसभा की 42 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी ने पिछली बार 18 सीटें जीती थी. बीजेपी की कोशिश इस संख्या को बढ़ाने की है जबकि विपक्षी दल इसे घटना चाहते हैं.