Helicopter Booking Lok Sabha Chunav: एक दिन में 4-5 रैलियां और रोड शो नेता कर पा रहे हैं क्योंकि वे हेलीकॉप्टर से उड़कर झट से पहुंच जाते हैं. राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव सभी हेलीकॉप्टर से उड़ रहे हैं. ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि एक घंटे के लिए हेलीकॉप्टर का रेट कितना होता है.
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Lok Sabha Chunav: चुनाव के सीजन में यूपी-बिहार में एक बात खूब कही जाती है कि आधी जनता तो हेलीकॉप्टर देखने आती है. बिहार की काराकाट लोकसभा सीट पर जब पवन सिंह की रैली में जबर्दस्त भीड़ आने लगी तो भाजपा और जेडीयू के कुछ नेता बोलने लगे कि उन्हें और उनके हेलीकॉप्टर को देखने लोग ऐसे ही आ जाते हैं, वोट नहीं देंगे. खैर, यहां बात हेलीकॉप्टर की करते हैं. क्या आपको पता है कि एक हेलीकॉप्टर पर कितना खर्च आता है? जी हां, रेट जानकर आप चौंक जाएंगे.
ऑपरेटरों की बल्ले-बल्ले
अगर दो इंजन वाला 8-सीटर हेलीकॉप्टर है तो वह करीब 3 लाख रुपये प्रति घंटे के हिसाब से चार्ज करता है. 180 घंटे के लिए इस हेलीकॉप्टर पर करीब 4-5 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. लोकसभा चुनाव आखिरी पड़ाव पर पहुंच रहा है, इधर हेलीकॉप्टर ऑपरेटर अच्छी कमाई कर चुके हैं. जी हां, हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों ने इस चुनावी सीजन में करीब 350-400 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड कमाई की है. आखिरी चरण में 1 जून को मतदान होना है.
आमतौर पर राजनीतिक दलों की भारी मांग के कारण किराये पर मिलने वाले हेलीकॉप्टर के रेट 50% तक बढ़ जाते हैं. इन हेलीकॉप्टरों को घंटे के आधार पर किराये पर लिया जाता है।
हेलीकॉप्टर और रेट
बीईएल 407 जैसे 6-7 सीटों वाले सिंगल-इंजन के हेलीकॉप्टर के रेट चुनाव के दौरान बढ़कर 1.3-1.5 लाख रुपये प्रति पहुंच गए. अगस्ता एडब्ल्यू109 और एच145 एयरबस हेलीकॉप्टरों में 7-8 लोगों के बैठने की क्षमता होती है. दो इंजन वाले इन हेलीकॉप्टरों का किराया हर घंटे के हिसाब से 2.3-3 लाख रुपये तक पहुंच गया.
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गौर करने वाली बात यह है कि दो इंजन वाले हेलीकॉप्टर कम हैं और वे सुरक्षा और आराम को ध्यान में रखते हुए VVIP की पहली पसंद रहते हैं.
4 लाख घंटे के भी हेलीकॉप्टर
तीसरी तरह के हेलीकॉप्टरों की बात करें तो 15 सीटर अगस्ता वेस्टलैंड जैसे उड़नखटोले हैं. इस श्रेणी में केवल 3 हेलीकॉप्टर उपलब्ध हैं और इसका किराया 4 लाख रुपये से शुरू होता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 165-170 ऑपरेटर (Non-Scheduled Operators) हैं और लगभग 30-35 ट्विन इंजन हैं. इन ऑपरेटरों का कोई निश्चित शेड्यूल नहीं होता है, जरूरत के हिसाब से उड़ान भरते हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हेलीकॉप्टर ऑपरेटर आम दिनों की तुलना में 40-50% ज्यादा चार्ज कर रहे हैं क्योंकि चुनाव के दौरान मांग काफी अधिक है. 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने 20-30% अधिक शुल्क लिया था. इस साल मांग ज्यादा रही. राज्य स्तर की पार्टियों से भी डिमांड आई जबकि हेलीकॉप्टरों की संख्या नहीं बढ़ी.
कमाई का तरीका
चुनाव के दौरान ये ऑपरेटर 45-60 दिनों के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करते हैं. भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के साथ इस तरह की डील होती है जिसके नेताओं को कई राज्यों में ताबड़तोड़ प्रचार करना होता है.
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इस दौरान रोज कम से कम 2.5-3 घंटे गारंटी के माने जाते हैं. इस हिसाब से अगर कोई 60 दिनों के लिए काम पर रखता है तो ऑपरेटर को 180 घंटे की उड़ान मिलती है. हां, चाहे वह उड़ान भरे या नहीं, पार्टी को भुगतान करना पड़ता है. ऑपरेटर 30 दिन आगे का पैसा लेकर रखते हैं.