Lok Sabha Chunav: इमर्जेंसी खत्म हो चुकी थी. 1977 में लोकसभा चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी अपनी सीट भी हार गईं. जनता पार्टी की सरकार बनी. तब दिल्ली के रामलीला मैदान पर विपक्षी दलों की विशाल रैली हुई थी. बताते हैं कि हार के बाद तीन महीने तक इंदिरा गांधी बिल्कुल राजनीति से गायब थीं. बिहार के बाढ़ प्रभावित बेलछी में कई लोगों की हत्या हुई तो उन्होंने वहां जाने का फैसला किया. वह हाथी पर बैठकर वहां पहुंची थीं. इसके बाद वह रायबरेली भी गईं. धीरे-धीरे जनसमर्थन बढ़ने लगा तो जनता पार्टी सरकार में घबराहट होने लगी. एक दिन अचानक इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया. 


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चरण सिंह की वो 'प्रतिज्ञा'


तब सत्ता में बैठे नेताओं को लगा कि इंदिरा गांधी को ज्यादा तवज्जो मिलने लगी तो कहीं सरकार खतरे में न पड़ जाए. जनता पार्टी की कैबिनेट में मांग उठने लगी कि इंदिरा को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए. इससे पहले एक बार चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि अगर वह सत्ता में आए तो तिहाड़ की उसी कोठरी में इंदिरा को रखेंगे जहां वह रहे थे. हालांकि तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई का मानना था कि कानून के तहत ही ऐक्शन होना चाहिए. बताते हैं कि इस मामले में अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कोई मशविरा नहीं किया गया. 


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चरण सिंह ने एसपी लेवल के अधिकारियों की लिस्ट मंगाई. उसमें से सीबीआई में रहे आईपीएस अधिकारी एनके सिंह को चुना गया. मोरारजी ने एक शर्त लगाई कि इंदिरा गांधी को हथकड़ी नहीं पहनाई जाएगी. शुरू में 1 अक्टूबर को उन्हें गिरफ्तार किया जाना था. उस दिन शनिवार था तो प्लान टाल दिया गया. 2 अक्टूबर के बाद 3 तारीख को गिरफ्तार करने की योजना बनी. सीबीआई के डायरेक्टर को तलब कर आगे बढ़ने का प्लान बना. किरण बेदी को भी इस दौरान तैनात किया गया.


सरकारी जीप से चुनाव प्रचार का आरोप 


हां, आरोप लगे कि इंदिरा गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी जीप का दुरुपयोग किया. दूसरा आरोप था कि इंदिरा गांधी ने पीएम रहते एक फ्रेंच कंपनी को ड्रिलिंग का कॉन्ट्रैक्ट दिया था, जिससे भारत सरकार को 11 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. 


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शाम के 5.15 बज चुके थे. एनके सिंह और उनकी टीम इंदिरा के आवास पर पहुंचती है. उस समय संजय गांधी बैडमिंटन खेल रहे थे. इंदिरा गांधी कमरे में कुछ लोगों से बात कर रही थीं. इंदिरा ने कहा कि पहले से अपॉइंटमेंट लेकर क्यों नहीं आए? एनके सिंह वहीं बाहर खड़े होकर इंतजार करने लगे. जैसे ही लोग इंदिरा से मिलकर बाहर आए, कुछ लोग अंदर चले गए. तब एनके सिंह गुस्से में बोले कि 15 मिनट के अंदर इंदिरा गांधी के पास नहीं ले जाया गया तो वह कड़ा फैसला लेने के लिए मजबूर हो जाएंगे. 


चिल्लाने लगीं इंदिरा


करीब एक घंटे बाद एनके सिंह को इंदिरा के पास ले जाया गया. सिंह ने कहा कि आपके खिलाफ करप्शन का केस दर्ज किया गया है. मुझे आपको गिरफ्तार करने का काम सौंपा गया है. इंदिरा चिल्लाने लगीं. हथकड़ियां कहां हैं, लाइए. मुझे कोई डर नहीं है. खबर फैली तो वहां भीड़ इकट्ठा होने लगी. इंदिरा ने तैयार होने के लिए वक्त लिया. रात साढ़े आठ बजे इंदिरा को लेकर पुलिस अधिकारी वहां से निकले. 


जैसे ही कार चलने को हुई तो 2-3 कांग्रेस वर्कर आगे लेट गए. फरीदाबाद गेस्ट हाउस ले जाना था. उनके पीछे कांग्रेस नेताओं की 10 कारों का काफिला चलने लगा. रास्ते में रेलवे फाटक आया तो काफिला रुक गया. वहां चबूतरे पर आकर इंदिरा बैठ गईं. कुछ लोगों ने विरोध किया कि बिना कोर्ट ऑर्डर के आप (एनके सिंह) इंदिरा गांधी को दूसरे स्टेट में नहीं ले जा सकते. उन्हें दिल्ली से हरियाणा ले जाया जा रहा था. रेलवे फाटक खुल गया. इंदिरा ने कार में बैठने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वकीलों का कहना है कि दूसरे स्टेट में नहीं ले जा सकते. वहां से काफिला वापस दिल्ली की तरफ मुड़ा और किंग्सवे कैंप में पुलिस मेस पहुंचा. 


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इंदिरा गांधी को ग्राउंड फ्लोर में वीआईपी कमरे में रखा गया. खाना ऑफर किया गया लेकिन इंदिरा ने मना कर दिया. एक रात इंदिरा ने वहीं बिताई और अगले दिन उन्हें चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. राजीव और संजय नाश्ता लेकर पहुंचे थे. कोर्ट के सामने काफी भीड़ जुटी. इंदिरा वहां कुर्सी पर नहीं बैठीं.


सुनवाई शुरू हुई. जज ने कहा कि आपके पास क्या सबूत है? प्रॉसिक्यूटर की तरफ से अजीब सा जवाब आया कि कल ही एफआईआर दर्ज की गई, सबूत जुटाने में थोड़ा और समय लगेगा. जज ने फौरन केस को डिसमिस कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रॉसिक्यूशन के पास कोई सबूत नहीं है इन्हें डीटेन करने का. संजय गांधी बाहर दौड़ते हुए गए और चिल्लाए- डिसमिस, डिसमिस, डिसमिस. इस मामले के बाद कांग्रेस का ग्राफ फिर से चढ़ने लगा. 


तब 7 दिन तिहाड़ में रहना पड़ा


हालांकि बाद में इंदिरा गांधी को 7 दिन तक दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था. 19 दिसंबर 1978 को वह गिरफ्तार हुईं. तब इंदिरा को लोकसभा से निलंबित कर गिरफ्तार किए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था. रात में लोकसभा अध्यक्ष ने गिरफ्तारी का आदेश जारी किया. तब भी वही सीबीआई अफसर एनके सिंह संसद भवन पहुंचे थे. उन्हें तिहाड़ जेल ले जाया गया. 1980 में इंदिरा फिर से पीएम बनीं तो एनके सिंह सीबीआई से हटा दिए गए. 


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