Maharashtra Assembly Elections 2024 Results: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने बड़े-बड़े राजनीतिक दिग्गजों को चौंका दिया है. भाजपा के नेतृत्व में महायुति ने प्रचंड जीत दर्ज की है, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) बुरी तरह हार गई. इस बीच राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) ने भी अपनी ताकत आजमाई, लेकिन नतीजे उनकी उम्मीदों के विपरीत रहे. पार्टी 125 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत पाई. आइए जानते हैं राज ठाकरे और उनकी पार्टी के प्रदर्शन पर विस्तार से.


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शुरुआती सफलता के बाद गिरावट


2009 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते हुए एमएनएस ने 13 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो पार्टी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इसके बाद से हर चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन लगातार गिरता रहा. 2019 में एमएनएस को केवल एक सीट मिली थी, जबकि इस बार पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई.


वोट शेयर में भारी गिरावट


एमएनएस का वोट शेयर 2009 में 5.71% था, जो 2014 में घटकर 3.15% और 2019 में 2.25% रह गया. 2024 के चुनाव में भी वोट शेयर बेहद मामूली रहा. यह गिरावट दिखाती है कि मतदाता अब पार्टी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.


अमित ठाकरे का चुनावी डेब्यू


इस बार राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे ने महिम सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे. यह राज ठाकरे परिवार का दूसरा चुनावी प्रयास था, लेकिन उन्हें कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिली. यह नतीजा ठाकरे परिवार के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा करता है.


शिवसेना से अलग होने का असर


2006 में राज ठाकरे ने अपने चाचा बाल ठाकरे से मतभेद के बाद शिवसेना छोड़ दी थी और एमएनएस का गठन किया. पार्टी ने "मराठी मानूस" और हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने की कोशिश की, लेकिन 2009 के बाद इस एजेंडे पर जनता का विश्वास कम होता गया. शिवसेना से अलगाव का फायदा न उन्हें मिला और न ही उनकी पार्टी को.


महायुति का समर्थन, लेकिन अलग चुनाव लड़ने का दांव


2024 के लोकसभा चुनाव में एमएनएस ने महायुति का समर्थन किया था. लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अलग रास्ता चुना और 125 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. यह रणनीति नाकाम साबित हुई और एमएनएस का प्रदर्शन पूरी तरह विफल रहा.


चुनावी मुद्दे: जनता से जुड़ाव की कमी


राज ठाकरे ने रैलियों में बुनियादी मुद्दों जैसे पानी, बिजली, शिक्षा, और स्वास्थ्य पर बात की. उन्होंने मुंबई और ठाणे जैसे शहरों को वैश्विक स्तर पर पीछे बताया. लेकिन इन मुद्दों पर मतदाताओं को आकर्षित करने में वे असफल रहे.


पुराने विवाद और नई चुनौतियां


एमएनएस को शुरुआती दौर में उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा और विवादों के लिए जाना जाता था. हालांकि बाद में पार्टी ने अपनी छवि बदलने की कोशिश की, लेकिन मतदाताओं का भरोसा दोबारा जीतने में नाकाम रही. अब पार्टी के लिए नए मुद्दे खड़ा करना और जनता से फिर जुड़ना बड़ी चुनौती है.


आत्ममंथन का समय


2024 के विधानसभा चुनाव ने साफ कर दिया कि एमएनएस का राजनीतिक कद लगातार सिकुड़ रहा है. राज ठाकरे को अपनी पार्टी की रणनीति, मुद्दों, और संगठन पर गंभीरता से काम करना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पार्टी का अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है. राज ठाकरे और उनकी पार्टी एमएनएस ने 2024 के चुनाव में फिर से जोर लगाया, लेकिन यह चुनावी सफर निराशाजनक साबित हुआ. 2009 की सफलता के बाद एमएनएस की राजनीतिक जमीन लगातार खिसक रही है. राज ठाकरे को आत्ममंथन कर पार्टी को फिर से खड़ा करने की जरूरत है.