यूपी उपचुनाव की तारीख बदलने से एक हफ्ता और मिला, सपा या भाजपा किसको होगा फायदा?
BJP Vs Samajwadi Party: अब चुनाव की तारीख आगे बढ़ने से तमाम दलों को प्रचार के लिए एक हफ्ता और मिल जाएगा. यूपी में सपा-कांग्रेस और बीजेपी इस मौके को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. यूपी में कटेहरी, करहल, मीरापुर, कुंदरकी, फूलपुर, सीसामऊ, गाजियाबाद, मझावन और खैर में उपचुनाव होना है.
UP Bypolls: चुनाव आयोग ने सोमवार को त्योहारों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल में विधानसभा उपचुनावों की तारीख 13 नवंबर से बदलकर 20 नवंबर कर दी. उत्तर प्रदेश में नौ, पंजाब में चार और केरल में एक सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग होनी है. कांग्रेस, बीजेपी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) समेत कई दलों ने विभिन्न त्योहारों के मद्देनजर आयोग से चुनावों की तारीख बदलने की दरख्वास्त करते हुए कहा था कि 13 नवंबर को चुनाव कराने से मतदान प्रतिशत पर असर पड़ सकता है.
कांग्रेस ने कहा था कि केरल की पलक्कड़ विधानसभा सीट पर बड़ी संख्या में मतदाता 13 से 15 नवंबर तक कल्पती रथोत्सवम का त्योहार मनाएंगे. पार्टी ने कहा था कि पंजाब में श्री गुरु नानक देव का 555वां प्रकाश पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा और 13 नवंबर से अखंड पाठ का आयोजन किया जाएगा. भाजपा, बसपा और रालोद ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में कार्तिक पूर्णिमा से तीन-चार दिन पहले लोग यात्रा करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को होगी.
किन सीटों पर होने हैं उपचुनाव
अब चुनाव की तारीख आगे बढ़ने से तमाम दलों को प्रचार के लिए एक हफ्ता और मिल जाएगा. यूपी में सपा-कांग्रेस और बीजेपी इस मौके को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. यूपी में कटेहरी, करहल, मीरापुर, कुंदरकी, फूलपुर, सीसामऊ, गाजियाबाद, मझावन और खैर में उपचुनाव होना है.
जो कमाल बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में दिखाया अब वह उपचुनावों में करना चाहती है. सीएम योगी आदित्यनाथ खुद मिशन मोड में आ चुके हैं. उन्होंने बीजेपी के सबसे लोकप्रिय नेताओं के साथ एक मिशन-9 बनाया गया है. सीएम योगी की लोकप्रियता को बीजेपी ने हरियाणा में जमकर भुनाया था, जिस वजह से पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी.
बीजेपी ने बनाई स्ट्रैटजी
यूपी उपचुनावों के मद्देनजर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, संगठन के सदस्य और वॉलंटियर्स घर-घर जाकर लोगों से मुलाकात करेंगे. जबकि योगी सरकार के सीनियर मंत्रियों को अपनी-अपनी जिम्मेदारी दे दी गई है ताकि सारी 9 सीटों पर पार्टी को जीत मिल सके.
दूसरी ओर अखिलेश यादव भी ग्राउंड जीरो पर हैं और उनका मानना है कि पीडीए बीजेपी के सारे दांवों को तोड़ देगा. इस चुनाव में बंटोगे तो कटोगे का नारा भी जमकर सामने आया है. इस नारे ने बीजेपी के लिए हरियाणा में बाजी पलट दी थी. इस नारे का भी तोड़ निकालने की बात भी अखिलेश कह चुके हैं. उन्होंने इसके जवाब में जुड़ेंगे तो जीतेंगे का नारा दिया है.
अखिलेश ने किया प्रहार
वहीं चुनाव की तारीखें आगे बढ़ने पर अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, उन्होंने लिखा, 'टालेंगे तो और भी बुरा हारेंगे! पहले मिल्कीपुर का उपचुनाव टाला, अब बाक़ी सीटों के उपचुनाव की तारीख, भाजपा इतनी कमजोर कभी न थी. दरअसल बात ये है कि उप्र में ‘महा-बेरोज़गारी’ की वजह से जो लोग पूरे देश में काम-रोज़गार के लिए जाते हैं, वो दिवाली और छठ की छुट्टी लेकर उप्र आए हुए हैं, और उपचुनाव में भाजपा को हराने के लिए वोट डालनेवाले थे. जैसे ही भाजपा को इसकी भनक लगी, उसने उपचुनावों को आगे खिसका दिया, जिससे लोगों की छुट्टी ख़त्म हो जाए और वो बिना वोट डाले ही वापस चले जाएं. ये भाजपा की पुरानी चाल है : हारेंगे तो टालेंगे.'
अब चूंकि उपचुनावों की डेट एक हफ्ता आगे बढ़ गई है. लिहाजा दोनों ही पार्टियां इन 7 दिनों को जमकर भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी. लेकिन देखना यह होगा कि जनता किसको सिरआंखों पर बैठाएगी.