नई दिल्लीः 1983 के बाद भारत को दूसरा वर्ल्ड कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले बल्लेबाज युवराज सिंह ने क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है. अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट में 40 टेस्‍ट और 304 वनडे खेलने वाले युवराज ने कहा कि ये मेरे लिए बेहद भावुक पल है. इस अवसर पर उन्‍होंने कहा, '' 25 वर्षों तक 22 गज की पिच पर और तकरीबन 17 वर्षों तक अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया है. अपने जीवन के अहम निर्णय लेने के समय उन्होंने कहा कि क्रिकेट ने मुझे जीवन में बहुत कुछ सिखाया है.


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युवराज सिंह एक ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने अपने करियर में हमेंशा ही क्रिकेट को प्राथमिकता दी और हर एक मुश्किल दौर में भारत को जीत दिलाई. युवराज सिंह ने ऐसे समय में संन्यास से ऐलान की घोषणा की है जब भारत विश्व कप के मैच खेल रहा है और लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. युवराज इस बार विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं हैं लेकिन 2011 में वर्ल्ड कप दौरे में वे एक प्रमुख खिलाड़ी थे. वर्ल्ड कप 2011 टूर्नामेंट में युवराज सिंह ने 362 रनों के साथ-साथ 15 विकेट अपने नाम किए थे. युवराज सिंह को लाजवाब प्रदर्शन के लिए विश्व कप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था. युवराज सिंह ने जो करियर के प्रति जो प्रतिबद्धता दिखाई है वह सभी खिलाड़ियों के लिए एक मिशाल है.


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वर्ल्ड कप 2011 में वेस्ट इंडीज के साथ हुए एक मैच में उन्हें खून की उल्टियां हो रही थीं, बावजूद इसके वे मैदान में बने रहे और 113 रन की शानदार पारी खेली. जब युवी मैदान पर आए थे तब इंडिया का स्कोर दो विकेट के नुक़सान पर 51 रन था. युवराज ने इस मैच में शतक लगाने के साथ साथ 3 विकेट भी अपने नाम किए. युवराज को इस मैच में मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार भी दिया गया.


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युवराज सिंह की महानता को इसी बात से समझा जा सकता है कि अपनी तकलीफ को दरकिनार करते हुए उन्होंने टीम का साथ दिया और भारत को जीत दिलाई . आज युवराज ने क्रिकेट को अलविदा जरूर कह दिया लेकिन क्रिकेट उन्हें कभी नहीं भुला सकता. वो हमेंशा ही अपने बेहतर खेल के लिए जाने जाएंगे.