Retired IPS officer's deepfake blackmail: कुछ दिनों पहले आपने बॉलीवुड अभिनेत्री रश्मिका मंधाना के बहुचर्चित डीपफेक वीडियो (Deepfake video of Rashmika Mandanna) के बारे में सुना होगा. ऐसे में अगर आप भी इसे एक खबर मान कर आराम से बैठ गए हैं तो आपको भी सावधान होने की जरूरत है. क्योंकि ऐसा करने वाले न सिर्फ सेलिब्रेटी बल्कि आम आदमियों को भी निशाना बना रहे हैं. अगर ये कहा जाए कि खासकर दिल्ली-NCR में ऐसे मामलों की बाढ़ सी आई गई है, तो गलत नहीं होगा. इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से पैदा हुए 'डीपफेक' की दहशत बढ़ाते हुए अपराधियों ने 76 साल के सीनियर सिटिजन को निशाना बनाया है.


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साइबर अपराधियों ने उगाही के लिए यूपी पुलिस के एक रिटायर्ड आईपीएस अफसर के चेहरे और आवाज का इस्तेमाल किया. इस तरह बने वीडियो को एक बुजुर्ग के पास भेजा गया. बेहद डरे हुए बुजुर्ग ने अपने दामन को दाग से बचाने के लिए अपराधियों को बार-बार पैसे का भुगतान किया. ब्लैकमेलर्स ने ऐसा वीडियो बनाया था जिसे देखकर कहा जा सकता कि इस मामले में महिला के साथ संबंध बनाने की बात की गई. 


जाने पूरा मामला


पुलिस ने कहा कि मामले की जानकारी मिलते ही फौरन FIR दर्ज करते हुए जांच शुरू कराई गई है. डीपफेक की मदद से धोखाधड़ी बढ़ी है. एक से बढ़कर एक घातक और खतरनाक कांड देखने को मिल रहे हैं. टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक ब्लैकमेलर्स ने पीड़ित को आत्महत्या कर लेने की हद तक मजबूर कर दिया था. गोविंदपुरम निवासी अरविंद शर्मा ने एक स्मार्टफोन खरीदकर फेसबुक अकाउंट बनाया था. 4 नवंबर को कुछ जालसाजों ने उन्हें सबसे पहले फेसबुक वीडियो कॉल के जरिए संपर्क किया. शर्मा ने फोन उठाया लेकिन दूसरी तरफ एक न्यूड महिला को देखकर फौरन फोन काट दिया. लेकिन इतना वक्त उन्हें फंसाने के लिए काफी था. एक घंटे बाद, उन्हें व्हाट्सएप पर एक और वीडियो कॉल आई, लेकिन इस बार, पुलिस की वर्दी में एक आदमी था जो उन्हें धमकी दे रहा था. 


पीड़ित की बेटी ने अपनी पुलिस शिकायत में कहा कि व्हाट्स ऐप वीडियो में, दिख रहे पुलिस अफसर ने कहा कि अगर पैसा नहीं दिया तो न सिर्फ पुलिस में मामला जाएगा, बल्कि महिलाओं से बात करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा. जिसे बाकी सभी रिश्तेदारों तक पहुंचा दिया जाएगा.


74000 रुपये वसूले


धीरे धीरे ब्लैकमेल करने वालों को 74000 रुपये देने के बाद उनके सब्र का बांध टूट गया. शर्मा ने आखिरकार अपने परिवार वालों को बताया, तब यह पता लगाने के लिए इंटरनेट पर गूगल पर सर्च किया गया कि आखिर वो आईपीएस अधिकारी कौन था? तब उन्हें पता चला कि वीडियो में पूर्व एडीजी प्रेम प्रकाश थे. पीड़ित परिवार यह नहीं समझ पा रहा था कि कोई वरिष्ठ अधिकारी आखिर इस तरह क्यों धमकाएगा और उगाही करेगा? तब जाकर गाजियाबाद पुलिस तक मामला पहुंचा. 


पुलिस का बयान


कविनगर एसीपी अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा, 'हम साइबर सेल की मदद ले रहे हैं. वीडियो को करीब से देखने पर पता चलता है कि आवाज और होठों की हरकत एक साथ नहीं है. इस मामले में अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किए गए सोशल मीडिया अकाउंट का विवरण प्राप्त करने के लिए META, FB और व्हाट्सएप की मूल कंपनी से संपर्क करेंगे. इस मामले में 1993 बैच के आईपीएस अफसर रहे प्रकाश ने कहा, 'बीती देर शाम डीपफेक वीडियो के बारे में पता चला. कुछ जालसाजों ने उगाही करने के लिए उनके नाम से एक फेसबुक अकाउंट भी बनाया. साइबर अपराध के अधिकांश पीड़ित पुलिस को मामले की रिपोर्ट नहीं करते हैं. लेकिन लोगों को शिकायत दर्ज करनी चाहिए और वे इसे नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर (1930) पर भी रिपोर्ट कर सकते हैं.'