हत्यारे ने 6 साल तक कैसे की योगी सरकार में नौकरी? वजह जानकर पूछेंगे, ये कैसे हो सकता है
UP Crime News: यूपी में खाकी शर्मसार करने का मामला सामने आया है. पुलिस महकमें से कुछ ऐसा हुआ कि बड़े अफसरों को भी जवाब देते नहीं बन रहा है. दरअसल हत्या के मामले में फंसा शख्स 6 साल तक यूपी के सिंचाई विभाग (UP ) में नौकरी करता रहा और पुलिस को भनक तक नहीं लगी.
Lucknow News: एक हत्यारे ने बड़े शातिराना तरीके से अपनी जिंदगी के डार्क सीक्रेट्स का छुपाया और पुलिस की नाक के नीचे यूपी के सिंचाई विभाग में छह साल तक नौकरी करता रहा. मामला गंभीर था इसलिए खुलासा होते ही हरकत में आई पुलिस बहुत तेजी से एक्शन में आ गई. ऐसा इसलिए हुआ कि पुलिस महकमे की लापरवाही की वजह से एक हत्यारा पूरे छह सालों तक सरकारी नौकरी के एक पद को घेरकर बैठा रहा.
पुलिस पर सवाल
खुलासे के बाद पुलिस की किरकिरी हो रही है. सोशल मीडिया पर भी मामला तूल पकड़ रहा है. लोगों का कहना है कि अगर पुलिस सही से काम करती तो कोई क्रिमिनल कानून का मजाक न उड़ा पाता. ये मामला यूपी पुलिस की पुलिस सत्यापन प्रक्रिया पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है.
क्या था मामला?
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को धता बताने वाला 30 साल का आरोपी का अनूप दुबे है. वो 2013 में हत्या के मामले में 4 महीने की जेल काट कर आया था. पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल हुआ हथियार भी बरामद किया था. 14 अगस्त 2024 तक उसका वो पाप दुनिया से छिपा रहा. उसका सरकारी कर्मचारी का टैग बचा रहा. झांसी की कोर्ट ने हत्या के उस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई तो इस मामले ने तूल पकड़ा और उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया.
दरअसल अनूप ने पिता चीफ इंजीनियर मिथलेश दुबे की मृत्यु के बाद 2018 में अनुकंपा के आधार पर नौकरी हासिल की थी. 13 अगस्त 2024 को अनूप झांसी में अपने दफ्तर गया और एक दिन की छुट्टी के लिए आवेदन किया. अगले दिन अदालत ने उसे और तीन अन्य साथियों को हत्या के मामले में दोषी ठहरा दिया. अनूप नौकरी पर नहीं लौटा तो विभाग ने जांच शुरु कराई, तब जाकर क्रिमिनल हिस्ट्री का पता चला.
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सिंचाई विभाग के अफसरों का कहना है कि अब ये पता लगाने के लिए पड़ताल हो रही है कि अनूप का पुलिस वेरिफिकेशन और चरित्र प्रमाण पत्र कैसे जारी हो गया? जबकि उसके खिलाफ हत्या का मुकदमा मई 2013 में दर्ज किया गया था.
2013 में नैनागढ़ के लाखन सिंह तोमर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनका बेटा देवेंद्र 14 मई को घर से चला गया और फिर वापस नहीं लौटा. पुलिस ने कहा कि 16 मई को लाखन को पता चला कि देवेन्द्र, झांसी के बबीना के पास अनूप दुबे, गौरव झा, कपिल शर्मा और आकाश के साथ शराब पी रहा था. जब लाखन ने उनसे पूछताछ की, तो उन्होंने देवेन्द्र के बरताव के कारण उसकी हत्या करने की बात कबूल कर ली थी. उन्होंने कहा कि वो पिकनिक के बहाने देवेन्द्र को बबीना ले गए और गोली मारकर हत्या करके शव को जला दिया. उन्होंने उसके पिता को पुलिस के पास जाने पर जान से मारने की धमकी भी दी.
लाखन ने 17 मई 2013 को हत्या का मामला दर्ज कराया, जिसके बाद चारों को गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन अनूप के पिता 6 महीने बाद उसकी जमानत कराने में कामयाब हो गए. कुछ समय बाद उनकी मौत हो गई तो शातिर अनूप ने अनुकंपा के आधार पर पिता की नौकरी हासिल कर ली.
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