नई दिल्ली:राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुई पुलिस हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ‌की विशेष जांच टीम से विरोध के पीछे रहे "असली अपराधियों" की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने की सिफारिश की है. मानवाधिकार आयोग ने छात्रों को विश्वविद्यालय की उचित अनुमति के बिना विरोध प्रदर्शन करने का दोषी माना है. एनएचआरसी ने कहा है कि विश्वविद्यालय के छात्र बाहरी लोगों के प्रभाव में आ गए और अनधिकृत विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. वे "गैर-कानूनी सभा" का हिस्सा बने, दिल्ली पुलिस को भड़काया और सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नष्ट किया, इसलिए, संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए अधिकारों का फायदा वे नहीं उठा सकते हैं. 


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आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि विरोध प्रदर्शनों में घातक तत्व मौजूद थे, जिन्हें उजागर किए जाने की आवश्यकता है.


ऐसी ‌ही टिप्पणियों के आलोक मे एनएचआरसी ने सिफारिश की है कि "भारत सरकार दिल्ली के पुलिस आयुक्त को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित करे कि अपराध शाखा की एसआईटी, दिल्ली पुलिस संबंधित मामलों की जांच हिंसक विरोध के पीछे असली अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी करके समयबद्ध तरीके से करे."


पुलिस हिंसा की स्वतंत्र जांच के लिए कोई सिफारिश नहीं की गई जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस हिंसा के सीसीटीवी विजुअल्स सामने आने के सात महीने बाद, एनएचआरसी ने भारत सरकार को दिल्ली पुलिस आयुक्त और आरएएफ के लिए सीआरपीएफ महानिदेशक को निर्देश देने को कहा है कि वो सीसीटीवी फुटेज को नुकसान पहुंचाने वाले उन सदस्यों की पहचान करें, जो अनावश्यक रूप से पुस्तकालय के अंदर गए, सीसीटीवी कैमरे तोड़े और आंसू गैस के गोले का उपयोग किया. संबंधित संगठनों के नियमों और प्रावधानों के अनुसार उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सकती है.


शिकायतकर्ताओं ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की निगरानी में एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा पुलिस ज्यादतियों की जांच करने की मांग की थी.


मानवीय अधिकार आयोग ने जीएनसीटीडी को घायल छात्रों को उचित मुआवजा देने के सिफारिश की. साथ ही कहा कि सरकार दिल्ली के पुलिस आयुक्त और आरएफ के लिए सीआरपीएफ के महानिदेशक को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित करे कि पुलिस बल को संवेदनशील बनाया जाए और इस तरह के कानून और व्यवस्था की स्थितियों को संभालने के लिए विशेष प्रशिक्षण मॉड्यूल चलाए जाएं.


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