Motihari: मोतिहारी सदर अस्पताल के स्टेनो मनोज कुमार शाही को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.


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स्टेनो के ऊपर आरोप है कि उसने सेवानिवृत महिला चिकित्सक के रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ में फर्जीवाड़ा किया और उनके हक का पैसा चालाकी से हड़प लिया.


मोतिहारी सदर अस्पताल के जिस स्टेनो के खिलाफ नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है वो कितनी सफाई से फर्जीवाड़े को अंजाम देता था इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता हैं कि पूरे आठ साल तक वो एक रिटायर डॉक्टर की पेंशन और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि अपने खाते में मंगाता रहा लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. खुद डॉक्टर भी पता नहीं लगा पाई की उनके हक के पैसे आखिर जा कहां रहे हैं.


दरअसल, मोतिहारी के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ केंद्र बेला बाजार, छौड़ादानों में चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित रही एक महिला डॉक्टर अमृता जायसवाल ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया था. लेकिन डॉक्टर को मृत घोषित कर स्टेनो ने उनके सेवांत लाभ का गबन किया जिसका भंडाफोड़ कुछ दिनों पहले हुआ था. खुद महिला डॉक्टर ने अपने जिंदा होने का प्रमाण देते हुए DM और सिविल सर्जन समेत कई अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी कि 'मैं जिंदा हूं'. 


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बता दें कि जिस महिला डॉक्टर को मृत बताकर उनके सेवांत लाभ की राशि हड़पी जा रही थी उन्होनें वर्ष 2013 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली थी. लेकिन डॉ जायसवाल की सेवांत लाभ की फाइल पर धोखे से सदर अस्पताल के स्टेनो मनोज शाही ने हस्ताक्षर ले लिए. कुछ दिनों बाद स्टेनो की गतिविधि पर शंका होने पर इसकी तहकीकात शुरू हुई. 


मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गई, पूरे मामले में जांच टीम ने डॉ अमृता जायसवाल के कागजातों पर सवाल उठाते हुए सिविल सर्जन के स्टेनो मनोज शाही का निलंबन कर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा कर दी थी. जिसके बाद सोमवार को मोतिहारी सदर अस्पताल के स्टेनो मनोज कुमार शाही को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.