पहली बार हिंदी उपन्यास को मिला `बुकर पुरस्कार`, जानें इतिहास और चयन प्रक्रिया
इस प्राइज की शुरुआत 2005 में मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज के रूप में किया गया था. यह शुरू में एक द्विवार्षिक पुरस्कार था, और इसमें कोई शर्त नहीं थी कि लिटरेचर का कार्य अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य भाषा में लिखा जाना चाहिए.
नई दिल्ली. सिनेमा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए जिस तरह ऑस्कर अवॉर्ड, फिल्मफेयर अवॉर्ड आदि दिए जाते हैं, ठीक उसी तरह लिटरेचर में योगदान के लिए बुकर प्राइज, साहित्य अकादमी अवॉर्ड आदि दिए जाते हैं. इस पुरस्कार के तहत विजेताओं को राशि भी दी जाती है. ऐसे में आज हम बात करेंगे बुकर पुरस्कार की. क्योंकि लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज मिला है. इसे डेजी रॉकवेल ने ट्रांसलेट किया है. यह विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट में शामिल किया गया था. यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है जो इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार की दौड़ में शामिल था. आइए जानते हैं यह क्या है और इसे क्यों दिया जाता है?
जानें क्या है बुकर प्राइज
बुकर प्राइज एक लिटररी प्राइज है जो हर साल अंग्रेजी भाषा में लिखे गए और यूके या आयरलैंड में पब्लिश हुए सर्वश्रेष्ठ नोवल को दिया जाता है. यह एक हाई-प्रोफाइल साहित्यिक पुरस्कार (Literary Prize) है और यही कारण है कि हर साल दिए जाने वाले इस पुरस्कार का इंतजार लगभग हर बुक लवर यानी पुस्तक प्रेमियों के बीच होता है.
बुकर प्राइज का इतिहास
इस प्राइज की शुरुआत 2005 में मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज के रूप में किया गया था. यह शुरू में एक द्विवार्षिक पुरस्कार था, और इसमें कोई शर्त नहीं थी कि लिटरेचर का कार्य अंग्रेजी के अलावा किसी अन्य भाषा में लिखा जाना चाहिए. मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज के शुरुआती विजेताओं में एलिस मुनरो, लिडिया डेविस और फिलिप रोथ, साथ ही इस्माइल काडारे और लास्ज़लो क्रास्ज़नाहोर्काई जैसे नाम शामिल हैं.
ऐसे चुने जाते हैं विनर
पुरस्कार के लिए विजेताओं का चयन करने के लिए फाउंडेशन एक एडवाइजरी कमेटी का चयन करती है. इस एडवाइजरी कमेटी में राइटर, दो पब्लिशर, एक लिटरेरी एजेंट, एक बुकसेलर, एक लाइब्रेरियन और एक चेयरपर्सन होते हैं. उसके बाद कमेटी एक जजिंग पैनल को सेलेक्ट करती है जो हर साल बदलती है. प्राइज के लिए लीडिंग क्रिटिक्स, राइटर्स और एकेडमिक से जज चुने जाते हैं.
पुरस्कार राशि
शुरू में प्राइज राशि 21,000 पाउंड थी, लेकिन 2002 में इसे बढ़ाकर 50,000 पाउंड कर दिया गया. वहीं, 1971 में बुकर के नियम बदल दिए गए जिसका अर्थ है कि 1970 में प्रकाशित पुस्तकों पर 1970 या 71 में विचार नहीं किया गया था. 2010 में फाउंडेशन द्वारा एक विशेष पुरस्कार 'लॉस्ट मैन बुकर पुरस्कार' बनाया गया ताकि इसकी मदद से 1970 की 22 नोवल की एक लंबी लिस्ट में से एक विजेता का चुनाव किया जाए.