नई दिल्ली: अब नए अकैडमिक सेशन से देश भर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्र एक साथ दो कोर्स कर सकेंगे. हालांकि, इसमें छात्र एक समय पर दो अलग-अलग कोर्स में एडमिशन तो ले सकेंगे, लेकिन उन्हें एक रेगुलर कोर्स और दूसरे डिस्टेंस कोर्स में एडमिशन लेना होगा.


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नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालयों से एक साथ दो कोर्स में एडमिशन लेने व पढ़ने का प्रावधान रखा गया है. इसलिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इसके लिए एक नया प्रावधान किया है.


अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए इंटर्नशिप अनिवार्य
यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के अनुसार नए सेशन से अंडरग्रेजुएट कोर्स के छात्रों के लिए इंटर्नशिप अनिवार्य होगी. इस इंटर्नशिप के आधार पर छात्र मार्केट की डिमांड के मुताबिक अपनी स्किल्स को डेवलप कर सकेंगे. इसके अलावा, छात्रों को फील्ड और प्रोजेक्ट्स में जाने के बाद कम्युनिटी आउटरीच पर भी काम करना होगा. वहीं अब देखा जाए, तो ग्रेजुएशन (UG) और पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) के छात्रों के पास अब कोर्स के कई ऑप्शन होंगे. ऐसे में विश्वविद्यालयों को ज्यादा से ज्यादा सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा कोर्स शुरू करने होंगे ताकि छात्रों के पास ज्यादा ऑप्शन मौजूद रहे.


वहीं शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, देशभर के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय इस समय भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए इन विश्वविद्यालयों ने एक साथ दो कोर्स में एडमिशन के लिए यूजीसी के दिशा-निर्देशों को अपनाया है. मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने विभिन्न डोमेन में प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति भी शुरू कर दी है.


क्या है प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस?
प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस वे लोग होंगे जिनका पहला पेशा अध्यापन नहीं है और उनके पास पीएचडी भी नहीं है. इसके बावजूद, उन्हें उनके पेशेवर अनुभव के आधार पर छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है. प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति के संबंध में यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों को पत्र भी लिखा है.


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